शंघाई। चीन ने अपने देश में समुद्री जल स्तर बढऩे के लिए जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ मौसमी परिस्थिति अल नीनो और ला नीना की घटनाओं को जिम्मेदार बताया है। चीन के समुद्री प्रशासन की ओर से कल प्रकाशित वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2016 में समुद्री जल स्तर औसतन 38 मिलीमीटर रहा जो वर्ष 2015 की तुलना में अधिक है।
रिपोर्ट में अप्रैल, सितंबर, नवंबर और दिसंबर की महीने समुद्री जल स्तर में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की गई है। इसमें कहा गया है कि वैश्विक जलवायु परिवर्तन के कारण चीन के तट की वायु एवं समुद्री तापमान में बढोत्तरी हुई है। इसके अलावा तट पर वायु का दवाब कम हुआ है और समुद्र के जल स्तर पर काफी बढोत्तरी हुई है।
रिपोर्ट में चेतावनी देते हुए कहा गया है कि समुद्र का जल स्तर बढऩे की वजह से तटवर्ती कटाव के साथ लगातार गंभीर तूफान जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। ऊष्ण कटिबंधीय प्रशांत के भूमध्यीय क्षेत्र के समुद्र के तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में आये बदलाव के लिए उत्तरदायी समुद्री घटना को एल नीनो कहा जाता है।
यह दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट पर स्थित ईक्वाडोर और पेरु देशों के तटीय समुद्री जल में कुछ सालों के अंतराल पर घटित होती है। इसके परिणाम स्वरूप समुद्र के सतही जल का तापमान सामान्य से अधिक हो जाता है। वहीं ला नीनो भी मानसून का रुख तय करने वाली सामुद्रिक घटना है। अल-नीनो में समुद्री सतह गर्म होती है वहीं ला-नीनो में समुद्री सतह का तापमान बहुत कम हो जाता है।
यूं तो सामान्य प्रक्रिया के तहत पेरु तट का समुद्री सतह ठंडी होती है लेकिन यही घटना जब काफी देर तक रहती है तो तापमान में असामान्य रूप से गिरावट आ जाती है। इस घटना को ला-नीनो कहा जाता है। ला-नीनो के समय पश्चिमी प्रशांत महासागर में अत्यधिक बारिश होने से पानी का स्तर बढ़ जाता है, वहीं दूसरी तरफ पूर्वी प्रशांत महासागर में वर्षा बहुत कम होती है।