वाशिंगटन। वैज्ञानिकों ने पहले वैश्विक इंटरनेट एटलस विकसित किया है। इसमें भारत में इंटरनेट की भौतिक संरचना की विस्तृत रपरेखा भी है। इस प्रगति से आने वाले समय में अवसंरचना को आतंकवाद और मौसम से जुड़ी घटनाओं से बचाने में मदद मिल सकती है।
इंटरनेट पर विश्व के बहुत अधिक निर्भर होने के बावजूद अमेरिका के विस्कन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं और उनके सहयोगियों द्वारा विकसित इंटरनेट एटलस के जरिए ही हाल में इंटरनेट की भौतिक अवसंरचना का पता लग सका।
विस्कन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय के पीएचडी छात्र रामाकृष्णन दुरईराजन ने कहा, ‘‘इंटरनेट के विकास की गति जारी है और उसके विकास को समझने के लिए खाका तैयार किया जाना वास्तव में अहम है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी सेवा प्रदाता इंटरनेट के ढांचे का आधिकारिक परिप्रेक्ष्य नहीं उपलब्ध नहीं करा सकता है।’’