इस्लामाबाद। पाकिस्तान के शीर्ष असैन्य और सैन्य नेता आज नवनिर्मित ग्वादर बंदरगाह से पश्चिमी एशिया और अफ्रीका को निर्यात करने सामान ले जा रहे चीनी पोत को रवाना करने के लिए देश के दक्षिण पश्चिम में पहुंचे। सरकार ने एक बयान में कहा कि विदेशों में बेचे जाने वाले सामान को लेकर चीनी ट्रकों का पहला काफिला कड़ी सुरक्षा के बीच ग्वादर को चीन के उत्तरपश्चिमी शिनजियांग क्षेत्र से जोडऩे वाली सडक़ के रास्ते पहुंचा।
प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान विदेशी निवेशकों को हर संभव सुरक्षा मुहैया कराएगा ताकि वे अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए चीन द्वारा वित्तपोषित बंदरगाह का इस्तेमाल कर सकें। विदेशी कर्मचारियों के बीच सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं को बीच पाकिस्तानी सेना ने नए व्यापार मार्गों और पत्तन की सुरक्षा के लिए एक विशेष बल का गठन किया है। यह बंदरगाह उग्रवाद प्रभावित बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है, जहां एक दरगाह में रात में हुई बमबारी में कम से कम 50 लोग मारे गए थे।
इस हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट समूह ने ली थी और पाकिस्तानी अधिकारियों ने कहा कि इसका उद्देश्य देश के दक्षिण पश्चिम में या कहीं और चीनी वित्तपोषित परियोजनाओं को नुकसान पहुंचाने का था।
चीन ‘चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा’ नामक परियोजना के तहत सडक़ों और बिजली के संयंत्रों के तंत्र का निर्माण कर रहा है। इसमें आने वाले दशकों में 46 अरब डॉलर के चीनी निवेश की संभावना है।
चीन और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से करीबी राजनीतिक एवं सैन्य संबंध रहे हैं। यह आंशिक तौर पर दोनों देशों के भारत के प्रति विद्वेष पर भी आधारित रहा है। ग्वादर बंदरगाह अरब सागर में स्थित है और इसकी भौगोलिक स्थिति दक्षिण एशिया, मध्य एशिया और पश्चिम एशिया के बीच एक रणनीतिक स्थिति है।
बंदरगाह फारस की खाड़ी के मुख पर भी स्थित है, जो हरमुज जलडमरूमध्य के ठीक बाहर है। चीन अरब सागर और हिंद महासागर तक सहज और विश्वसनीय पहुंच बनाने की कोशिश कर रहा है। चीनी पोत अब मलक्का जलडमरूमध्य का इस्तेमाल करते हैं। यह मलय प्रायद्वीप और इंडोनेशिया के बीच एक संकरा मार्ग है। प्रस्तावित नया मार्ग चीन को फारस की खाड़ी क्षेत्र और पश्चिम एशिया तक पहुंच दे देगा।