बीजिंग। चीन ने आज ताइवान के राष्ट्रपति ताई इंग..वेंज से अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की फोन पर बातचीत को लेकर अमेरिका के सामने विरोध जताया और वाशिंगटन से ‘एक चीन नीति’ की अपनी प्रतिबद्धता का सम्मान करने को कहा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने आज कहा कि चीन ने अमेरिका को ज्ञापन भेजकर अमेरिका से एक चीन नीति की अपनी प्रतिबद्धता का सम्मान करने का अनुरोध किया।
उन्होंने कहा, हमने संंंबंधित रिपोर्ट पर संज्ञान लिया और संबंधित अमेरिकी पक्ष को इस बारे में ज्ञापन भेजा। यह भी बताना जरूरी है कि विश्व में केवल एक चीन है। ताइवान चीन के क्षेत्र का अभिन्न हिस्सा है।
इससे पहले चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने ताई के साथ ट्रंप की फोन पर बातचीत को कमतर करते हुए इसे ताइवान का छल भरा कदम बताकर आज खारिज कर दिया और कहा कि इससे ‘एक-चीन’ नीति नहीं बदलेगी और ना ही चीन-अमेरिका संबंध खराब होंंगे।
हांगकांंग के टीवी चैनल ‘फिनिक्स चैनल’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, वांग ने कहा, मुझे नहीं लगता कि इससे एक-चीन नीति में कोई परिवर्तन आएगा, जिसपर अमेरिका सरकार वर्षों से चल रही है।
ट्रम्प और ताई की बातचीत केे बाद वांंग ने कहा, एक-चीन नीति, चीन अमेरिकी संंबंधों में स्वस्थ विकास की आधारशिला है और हम आशा करते हैं कि इस राजनीतिक नींव के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं होगी या इसे क्षतिग्र्रस्त नहींं किया जाएगा।
ट्रम्प ने ताई से बात कर ताइवान नेता से सीधे बातचीत नहीं करने की अमेरिका की दशकोंं पुरानी कूटनीतिक परंपरा तोड़ी है। ट्रम्प का फोन कॉल चीन के लिए बड़ा आचश्र्य था, लेेकिन बीजिंग की ओर से इसपर कोई कड़ी प्रतिक्र्रिया आने की अटकलोंं पर विराम लगाते हुए वांग ने तुरंत अपनी टिप्पणी की है। चीन फिलहाल ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने केे बाद उनकेे साथ बेहतर संबंंध स्थापित करना चाहता है।
दुनिया के ज्यादातर देशोंं की भांंति अमेरिका भी 1979 से तथा-कथित ‘एक-चीन’ नीति का पालन कर रहा है। अमेरिका ने 1979 में चीनी जन गणराज्य को औपचारिक रूप से कूटनीतिक मान्यता दी थी।