चीन ने वीटो छोड़ने की जी 4 की पेशकश पर सधी प्रतिक्रिया दी

Samachar Jagat | Wednesday, 15 Mar 2017 04:40:38 AM
China gave a general reaction to G4's offer to leave the veto

बीजिंग। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता हासिल करने के लिए जी 4 के राष्ट्रों के साथ मिलकर भारत द्वारा प्रारंभिक तौर पर वीटो पावर छोडऩे की पेशकश करने पर चीन ने सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए सभी पक्षों की ‘चिंताओं एवं हितों’ को समेटते हुए ‘पैकेज समाधान’ का आह्वान किया।

जी 4 देशों की पेशकश पर सधी प्रतिक्रिया देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार का समर्थन करता है तथा इसमें विकासशील देशों का और प्रतिनिधित्व और राय होनी चाहिए। हुआ ने दिये एक लिखित जवाब में कहा,‘‘सुरक्षा परिषद सुधार का संबंध सदस्यता की श्रेणियों, क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व, वीटो पावर जैसे मुद्दों से है। ’’वह जी 4 देशों- भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान की अंतर-सरकारी वार्ता के दौरान सात मार्च को संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन द्वारा दिये संयुक्त बयान पर प्रतिक्रिया दे रही थीं।

हुआ ने कहा कि इन मुद्दों का एक पैकेज समाधान पर पहुंचकर ही हल किया जा सकता है जिसमें व्यापक लोकतांत्रिक विमर्श के माध्यम से सभी पक्षों के हितों एवं चिंताओं को समेटा गया हो। चीन का करीबी पाकिस्तान स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने का विरोध करता है। इटली.पाकिस्तान की अगुवाई वाले युनाइटिंग फोर कंसेंसस संगठन ने सदस्यों की एक नयी श्रेणी का प्रस्ताव रखा है जो स्थायी तो नहीं है लेकिन उसकी सदस्यता अवधि लंबी हो और उसके एक बार पुनर्निर्वाचित होने की संभावना हो। 

चीन वीटो पावर वाले पांच स्थायी सदस्यों का हिस्सा हैं । इस श्रेणी में अमेरिका, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन हैं। सुरक्षा परिषद में सुधार की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की कोशिश के तहत सात मार्च को जी 4 के सदस्यों ने कहा था कि वे नवोन्मेषी विचारों का स्वागत करते हैं और जबतक वीटो पावर पर फैसला नहीं हो जाता, वे संशोधित सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के तौर पर वीटो पावर छोडऩे को तैयार हैं। 

जी 4 के संयुक्त बयान में इसपर बल दिया गया कि संयुक्त राष्ट्र के ज्यादातर सदस्य सुधार के बाद सुरक्षा परिषद में स्थायी एवं गैर स्थायी सदस्यों की संख्या में विस्तार के पक्ष में हैं। चूंकि भारत पिछले कुछ सालों से स्थायी सदस्यता का अपना दावा रखते हुए सुरक्षा परिषद के सुधार पर जोर देता रहा है, ऐसे में चीन ने यह कहते हुए अनिश्चित रूख अपनाया कि संयुक्त राष्ट्र में बड़ी भूमिका निभाने की भारत की महत्वाकांक्षा को वह समझता है। -(एजेंसी)



 

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