नई दिल्ली। एशिया प्रशांत क्षेत्र के 50 से भी अधिक देशों ने आज सेन्डई फ्रेमवर्क के दायरे में रहते हुए ‘नई दिल्ली घोषणा’ के तहत आपदा जोखिम में कमी के लिए परस्पर मिलकर प्रयास करने की वचनबद्धता प्रकट की।
आपदा जोखिम में कमी लाने के संबंध में राजधानी दिल्ली में 3 से 5 नवम्बर तक आयोजित एशियाई देशों के सातवें मंत्री स्तरीय सम्मेलन के समापन पर 51 प्रतिभागी देशों ने एक राजनीतिक वक्तव्य पर सहमति व्यक्त करते हुए ‘नई दिल्ली घोषणा’ को अपनाया। सम्मेलन में आपदा जोखिम में कमी लाने के लिए 2015 के सेन्डई फ्रेमवर्क को लागू करने के लिए तैयार की गयी योजना की भी घोषणा की गई।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सम्मेलन के पहले दिन अपने उद्घाटन भाषण में आपदा जोखिम में कमी लाने के लिए सदस्य देशों से दस सूत्री एजेन्डे पर काम करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इस दिशा में दुनिया भर के देशों को कंधे से कंधा मिलाकर काम करना होगा और इससे संबंधित निर्णयों को पूरी तरह से नीतियों में शामिल करना होगा।
नई दिल्ली घोषणा में भूकंप, चक्रवाती तूफान,सुनामी, बाढ़ और सूखे जैसी आपदाओं से होने वाले जोखिम में कमी लाने तथा उनसे बचाव के उपायों को लागू करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। घोषणा में इस लक्ष्य को हासिल करने की रूपरेखा के साथ साथ इन उपायों को तेजी से लागू करने की बात कही गई है। इसके लक्ष्य हासिल करने के लिए लोगों और समाज को योजनाओं और उपायों के केन्द्र में रखा गया है जिससे स्थानीय स्तर पर इस क्षेत्र में क्षमता बढायी जा सके।
सेन्डई फ्रेमवर्क लागू करने के लिए बनायी गयी एशियाई क्षेत्रीय योजना में आपदा जोखिम कम करने के प्रयासों तथा उपायों को स्थानीय तथा राष्ट्रीय स्तर पर केन्द्रित किया गया है। योजना के अनुसार वर्ष 2030 तक आपदा जोखिम के अनुपात को आधा करने का लक्ष्य रखा गया है।
वर्ष 2015 में जापान में सेन्डई फ्रेमवर्क अपनाए जाने के बाद आपदा जोखिम पर यह पहला बड़ा सम्मेलन है। सम्मेलन में यह भी घोषणा की गई कि अगला सम्मेलन दो वर्ष बाद 2018 में मंगोलिया में आयोजित किया जाएगा।