डॉक्टरों ने एक अध्ययन में पाया है कि अगर किसी महिला के दिल की धडक़न सामान्य नहीं है तो उसे दिल की बीमारी होने का जोखिम पुरुषों से ज्यादा है।
अध्ययन में देखा गया कि जिन महिलाओं को एट्रियल फाइब्रिलेशन (एएफ) की बीमारी थी, उनमें पुरुषों की तुलना में दिल का दौरा पडऩे या दूसरे बीमारी की आशंका दोगुनी थी। यह भी पाया गया कि एट्रियल फाइब्रिलेशन की दवा देने पर महिलाओं को ठीक होने में पुरुषों के मुकाबले ज्यादा समय लगा।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की कॉनर एमडिन और उनके सहयोगी डॉक्टरों की टीम ने इस पर काफी शोध की है। कॉनर ने बताया कि एक संभावना तो यह भी है कि एए$फ बीमारी से ग्रस्त महिलाएं उन पुरुषों की रिश्तेदार हैं, जिनका इलाज नहीं हुआ है।
ब्रिटेन में दस लाख से ज्यादा लोगों को एट्रियल $फाइब्रिलेशन का रोग है। इसकी जांच आप महज 30 सेकंड में कर सकती हैं। कभी-कभी दिल की धडक़न थोड़ा कम या ज्यादा होना खास चिंता की बात नहीं है, ऐसा हो सकता है।
पर यदि आपके दिल की धडक़न बार-बार अनियमित हो जाती है और वह भी बगैर किसी निश्चित पैटर्न के, तो चिंता की बात है। आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। यह भी हो सकता है कि आप के दिल की धडक़न बहुत तेज हो जाए, मसलन, एक मिनट में सौ से अधिक।
ऐसा होने पर आपको चक्कर आ सकता है या दम फूल सकता है। एए$फ में होता यह है कि दिल का ऊपरी चैंबर यानी एट्रिया (अलिंद) अनियमत रुप से सिकुड़ता है।
कभी-कभी तो वह इतनी तेजी से सिकुड़ता है कि दिल की मांसपेशियां उसके हिसाब से नहीं सिकुड़ पाती हैं और उनकी क्षमता कम हो जाती है। दवा लेने से एए$फ पर काबू पाया जा सकता है और दिल के दौरे से बचा जा सकता है। ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन की जून डेवीसन का मानना है कि स्त्री और पुरुष, दोनों मामलों में ही एए$फ का ठीक से पता नहीं चल पाता था।
वे कहती हैं कि यह महत्वपूर्ण है कि दिल के इलाज में लगे लोग एएफ का पता लगाने, उसकी रोकथाम करने और उसके इलाज करने में स्त्री पुरुष के अंतर पर अध्ययन करें। वे आगे बताती हैं कि इन अंतरों को समझने के लिए अधिक शोध की जरूरत है।