क्यों मानते हैं मात्र एक ही दिन विश्व तम्बाकू निषेध दिवस

Samachar Jagat | Wednesday, 07 Dec 2016 05:38:36 PM
Why is only one day celebrate World No Tobacco Day

विश्व तम्बाकू निषेध दिवस हर वर्ष 31 मई को मनाया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य समूचे विश्व में प्रत्येक को हर दिन (24 घंटे) हर प्रकार की तम्बाकू से बचे रहने और यदि वह इसका उपभोगी है तो उसे इसे शीघ्रातिशीघ्र छोड़ने हेतु प्रेरित करना है. साथ ही इसका उद्देश्य तम्बाकू के व्यापक उध्योग से होने वाली सभी हानियों और इनके परिणामस्वरुप हर वर्ष होने वाली 60 लाख से अधिक मृत्युओं से सभी को सचेत करना है क्योंकि इन अपरिपक्व मृत्युओं से होने वाले वैश्विक और राष्ट्रीय आर्थिक नुकसान को रोका जा सकता है- मात्र तम्बाकू को ना कह कर!

बजट 2016 में तम्बाकू पर टैक्स-वृद्धि: क्या यह पर्याप्त है?

सन् 1987 से स्थापित हुए इस वार्षिक जनस्वास्थ्य दिवस को संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी 192 सदस्य देश अभूतपूर्व उत्साह से मनाते हैं. वर्षभर के लेखेजोखे से प्राप्त अनुभवों के साथ नयी रूपरेखाओं और घोषणाओं के साथ, जहाँ तम्बाकू नियंत्रण को समर्पित सरकारें, गैर-सरकारी संगठन, मीडिया संस्थान व अन्य इसे अपना भरपूर समर्थन देते हैं, तम्बाकू उध्योग व इसके आमुख सहयोगी समूह इस दिन विश्व में बढ़ रहे तम्बाकू नियंत्रण के विभिन्न आयामों को प्रतिरोधित करने वाली कार्यवाहियों में जुट जाते हैं क्योंकि उन्हें उनका अस्तित्व और लाभ दिनोंदिन घटता दिखाई देता है.

यह विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अधिकृत आठ दिवसों में से एक है. अत: इसकी पालना हेतु इसके सभी क्षेत्रीय और राष्ट्रीय कार्यालय, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मंत्रालयों को भरपूर सहयोग दे अपने सदस्य राष्ट्रों द्वारा जनस्वास्थ्य के इस महत्वपूर्ण पहलु को आमजन तक पहुँचा एक विशिष्ट जागरूकता प्रदान करते हैं. संगठन की “तम्बाकू-मुक्ति पहल” ईकाई इस हेतु वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण के अनेक पहलूओं में से वर्तमान के सबसे ज्वलंत पहलू को हर वर्ष एक वार्षिक थीम में निर्धारित करती है. उदाहरणार्थ, इस वर्ष का थीम “प्लेन पैकेजिंग” इसलिए रखा गया ताकि अपरिपक्व, निर्णयात्मक क्षमता वाले युवा यदि प्रयोगात्मक तौर पर भी तम्बाकू पदार्थ खाने-पीने की सोचें तो निरुत्साहित करने वाली अनाकर्षक भूरी पैकेजिंग उन्हें इसके उपभोग से दूर रखे, जिसके ऊपरी भाग (85%) में बड़ी सचित्र चेतावनी और निचले भाग (15%) में तम्बाकू पदार्थ का मात्र ब्रांड और प्रकार सादे अक्षरों में लिखा हो. वार्षिक थीम का निर्धारण उस विषय पर हुए व्यापक वैज्ञानिक अध्ययनों से प्राप्त स्पष्ट परिणामों के आधार पर ही सुनिश्चित किया जाता है. जैसे “प्लेन पैकेजिंग” के थीम का इस वर्ष हेतु निर्धारण, ऑस्ट्रेलिया में सन् 2012 में तम्बाकू उपभोग की दर में 3% गिरावट और ~1 लाख वार्षिक मृत्युओं की कमी वाले परिणामों के आधार पर किया गया. निश्चित ही ये थीम तम्बाकू उध्योग के भयावह सच को उजागर करने के साथ इसके उपभोग की भ्रांतियों को भी दूर करते हैं. जैसेकि सन् 2000 का थीम “धोखा ना खाएँ, तम्बाकू मारक है (Tobacco kills, don’t be duped)” या सन् 2006 का थीम “तम्बाकू किसी भी रूप में या छुपे स्वरूप में मारक है (Tobacco is deadly in any form or disguise)”.

बजट 2016 में तम्बाकू पर टैक्स-वृद्धि: क्या यह पर्याप्त है?

विश्व तम्बाकू संगठन, इस दिन से सम्बंधित तथ्यात्मक जानकारी अपनी वेबसाइट (http://www.who.int/tobacco/wntd/en/) के माध्यम से विश्वभर में प्रचारित-प्रसारित-और-समर्थित करता है ताकि समूचा विश्व उस वर्ष हेतु निर्धारित थीम को एक विशिष्ट समानता के साथ मना पाये, सन् 2003 में हुई अन्तराष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण संधि (फ्रेमवर्क कन्वेंशन फॉर तंबाकू कण्ट्रोल- ऍफ़.सी.टी.सी.) की अनुशंसाओं को मजबूती दे पाये और वैश्विक महामारी में प्रभावी कमी ला पाये. विश्व स्वास्थ्य संगठन, इसी दिन, विश्व के सभी छः महाद्वीपों में कार्यरत स्वास्थ्य मंत्रालयों, संगठनों और व्यक्तियों को उनके तम्बाकू नियंत्रण में किये गये उत्कृष्ट कार्य हेतु चयनित कर हर महाद्वीप को छः विश्व स्वास्थ्य संगठन महानिदेशक पुरुस्कार और उतने ही मान्यता प्रमाणपत्र से प्रोत्साहित कर विश्वभर में तम्बाकू नियंत्रण की मुहीम को मजबूती देता है.

राजस्थान में विश्व तम्बाकू दिवस मनाने की परम्परा राजस्थान केन्सर फाउंडेशन द्वारा सन् 2002 में स्थापित की गयी. अब तो प्रादेशिक और जिला स्तरों पर, राज्य सरकार के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के तम्बाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ, गैर-सरकारी संगठनों, कुछ जिला प्रशासनों व शिक्षण संस्थाओं द्वारा इसे एक प्रमुख जनस्वास्थ्य दिवस के रूप में सततता और भरपूर उत्साह से मनाया जाने लगा है. अब तक राजस्थान को तीन विश्व स्वास्थ्य संगठन महानिदेशक पुरुस्कार भी मिल चुके हैं- दो राज्य के चिकित्सा और स्वास्थ्य- और वित- विभागों को क्रमश: उनके तम्बाकू नियंत्रण को राष्ट्रीय नेतृत्व और समूचे देश में सभी खुदरा तम्बाकू पदार्थों पर समानता से सबसे अधिक कर (65%) लगाने हेतु वर्ष 2013 और वर्ष 2014 में; और एक राजस्थान केन्सर फाउंडेशन के अध्यक्ष, डॉ. राकेश गुप्ता को दक्षिण-पूर्वी महाद्वीप में तम्बाकू नियंत्रण में उनके व्यक्तिगत योगदान के लिए दिया गया.

अंत में, तम्बाकू की समस्या इतनी विकराल है कि वर्ष के हर दिन को तम्बाकू नियंत्रण को इस दिवस को समर्पित करना आवश्यक ही नहीं, उचित और सामयिक भी है. क्योंकि तब ही प्राप्त हो सकेगी इस दिवस की पालना की उपयोगिता.                     

लेखन-

डॉ. राकेश गुप्ता, अध्यक्ष, राजस्थान कैंसर फाउंडेशन और वैश्विक परामर्शदाता, गैर-संक्रामक रोग नियंत्रण (कैंसर और तम्बाकू).

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