तम्बाकू जनित हृदय रोग.....

Samachar Jagat | Tuesday, 29 Nov 2016 05:32:39 PM
Tobacco related heart disease

भारत सरकार में रजिस्ट्रार जनरल की 2010- 13 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में सबसे अधिक मृत्यु ह्रदय- और रक्तसंचार तंत्र- के रोगों से होती हैं (आगे ह्रदयरोगों से संबोधित किया गया है). जहाँ 2004- 06 में इनसे 20% मृत्युएँ हुई, 2010- 13 में इनसे 23% मृत्यु होना पाया गया. सबसे अधिक प्रभावित वर्ग 30 से 69 आयु वर्ग के पुरुष थे.

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हृदयरोगों का वर्गीकरण: ह्रदयरोगों में निम्नलिखित रोग सम्मिलित किये जाते हैं:

1.    सीने में दर्द;
2.    हार्ट अटैक- जब ह्रदय के किसी भी भाग में रक्तसंचार रुक जाये अथवा इसकी मांसपेशियों का एक भाग चोटिल हो जाये अथवा मर जाये;
3.    हार्ट फ़ैल होना- जब ह्रदय शरीर के अन्य अंगों को उचित मात्र में रक्त- अथवा ऑक्सीजन- ना पंहुचा पाए;
4.    ऐरिह्दमिया- जब ह्रदयगति अत्यधिक तेज-, कम- अथवा असमान्य- हो जाये;
5.    स्ट्रोक- जब रक्त प्रदान करने वाली नलिका अत्यधिक रक्तचाप से फट- अथवा रक्त के कतरे से बंद हो- मस्तिष्क के उत्तकों की मृत्यु कर दे (रोगी इस अवस्था में शरीर के किसी भाग में मांसपेशी की कमजोरी, लकवे अथवा बोलने- या याददाश्त- में कमजोरी अनुभव करने लगता है); न्यूरोलॉजी विभाग में आपातकालीन भर्तियों में 40% स्ट्रोक के रोगी होते हैं.   

तम्बाकू और स्वास्थ्यकर्ता.....    

आइये अब जान लें कि तम्बाकू और ह्रदयरोगों के विषय पर वैश्विक नेतृत्व प्रदान करने वाली संस्थाएँ- वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन, सेन्टर फॉर क्रोनिक डिसीसेज, इत्यादि क्या कहती हैं:

•    धूम्रपान से ह्रदय रोगों और स्ट्रोक का खतरा 2 से 4 गुना बढ़ जाता है.
•    धूम्रपान से ह्रदय रोगों से होने वाली 10% मृत्युएँ होती हैं.
•    क्योंकि हर एक सिगरेट पीने से भी ह्रदय रोग का खतरा 5.6% बढ़ जाता है, और दिन भर में 1 से 2 सिगरेट पीने वालों में भी यह बना रहता है, कम मात्रा में किया गया धूम्रपान किसी भी तरह से सुरक्षित नहीं है.
•    महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा धूम्रपान से कोरोनरी आर्टरी रोग होने की संभावना 25% अधिक होती है.
•    तम्बाकू चबाने से हृदयरोगों का खतरा दूगुना हो जाता है.
•    दूसरों का धूँआ सूंघने वालों गैर-धूम्रपायियों में भी यह खतरा 25% से 30% होता है. अतः निष्क्रिय धूम्रपान से होने वाली 10% तम्बाकूजनित मृत्युओं में यह एक महत्वपूर्ण कारण है.

क्यों होते हैं तम्बाकू खाने-पीने से हृदयरोग?

•    तम्बाकू उपभोगियों में रक्त में व्याप्त फेट्स में अधिक-घनत्व वाले फेट्स कम हो जाते हैं और कम घनत्व वाले बढ़ जाते हैं; कारणवश रक्त में गाढ़ापन बड जाता हैं और रक्त संचार की गति कम हो जाती है;
•    तम्बाकू खाने-पीने से रक्त-नलिकाएँ सिकुड़ जाती हैं और कमजोर भी;
•    इन नलिकाओं की सतही कोशिकाओं के चोटग्रस्त होने पर उस स्थान पर रक्त-, फेट (कोलेस्ट्रॉल)-, कैल्शियम- अथवा अन्य पदार्थ के कतरे जमा हो जाते हैं.
•    परिणामवश, रक्त नलिकाओं के संकरे होने से हुई रक्तसंचार की धीमी गति अथवा पूरी तरह रुकने से तम्बाकू उपभोगी हार्टअटैक- अथवा स्ट्रोक- (अथवा हाथ-पांवों में सड़न- गेंग्रीन) से पीड़ित हो जाता है.

यह उचित होगा कि तम्बाकू छोड़ने और तत्पश्चात एक तम्बाकू-मुक्त जीवन बिताने से होने वाले लाभों को भी जान लिया जाये:

1.    ~20 मिनटों में नाड़ी- और ह्रदय- की गतियाँ व रक्तचाप सामान्य होने लगते हैं;
2.    ~8 घंटों में रक्त में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ने लगता है;
3.    ~24 घंटों में कार्बन-मोनो-ऑक्साइड का स्तर घटने लगता हैं;
4.    ~1 वर्ष के बाद हार्टअटैक का खतरा कम होने लगता है; और,
5.    ~5 वर्षों बाद हार्टअटैक और स्ट्रोक का खतरा एक गैर-उपभोगी के समान हो जाता है.

इन सब महामारी- और रोग- वैज्ञानिक तथ्यों से यह तो स्पष्ट ही है कि युवाओं का तम्बाकू को सदैव ना कहना और वर्तमान में तम्बाकू खा-पी रहे उपभोगियों द्वारा इसे शीघ्रातिशीघ्र छोड़ना कितना अवश्य है. तो सोचिये मत, यदि आप या आपका कोई

प्रिय सम्बन्धी-, मित्र-, सहकर्मी-, जानकार- या अनजान- भी तम्बाकू-पीड़ित दिखे तो उसे तम्बाकू-मुक्त जीवन व्यतीत करने की सही राह अवश्य सुझाइये. और, उसे एक बार अपना पूरा स्वास्थ्य-परिक्षण करा वर्तमान में रोगमुक्त होने हेतु आश्वस्त होने हेतु कहें.

हर वर्ष विश्व हार्ट दिवस 29 सितम्बर को मनाया जाता है. तो अब से आप भी उस दिन को सफलता से मनाने में जुट जाइये.  

लेखन-

डॉ. राकेश गुप्ता, अध्यक्ष, राजस्थान केन्सर फाउंडेशन और वैश्विक परामर्शदाता, गैर-संक्रामक रोग नियंत्रण (केन्सर और तम्बाकू).

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