गहन उपचार के जरिये सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर (टॉप नंबर) को 120 mm कम करने से तत्कालिक होने वाली 107,500 मृत्यु हर साल रोक सकतीं है। एक अध्ययन के अनुसार सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर का सम्बन्ध रक्त वाहिनियों में बनने वाला दबाव से है, जो कि दिल की धड़कन से उत्पन होता हहै। अनुशिथलक का निचे का नंबर धड़कनो के बिचका दबाव बताता है।
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वर्तमान की गाइडलाइन के अनुसार सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर 140 mm रखा जाना चाहिए (millimeters of mercury) फिर भी ,परिणामो से पता चला है, की मृत्युदर में 24 प्रतिशत की आयी जब सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर को 120 mm से किया गया, मानक 140 mm की तुलना में।
और अगर पूर्ण दक्षता के साथ सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर को काम किया जाये तो हर साल 107,500 मृत्यु रोकी जा सकती हे। लॉयल यूनिवर्सिटी शिकागो के रिसर्चर ने बताया है कि जनरल से प्रकाशित स्टडी के लिए रिसर्च टीम ने 9350 प्रोढो जिन की उम्र 50 और उस से जादा थी को शामिल किया था जिनका ब्लड प्रेशर हाई था और हाई रिस्क के कार्डियोवस्क्यूलर डिसीज़ से ग्रसित थे।
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हाई ब्लड प्रेशर या उच्च रक्तचाप, से दिल की बीमारियों , दौर पड़ने का किडनी फेलियर का और दूसरी हेल्थ समस्याओ का खतरा होता है। जब हम तीव्र ब्लड प्रेशर को कम करने कोशिश करते है तब वो भी साइड इफेक्ट का कारण बनता है, रेसेर्चेर ने बताया।
अध्ययन में 56,100 से अधिक लो ब्लड प्रेशर के आकड़ो का आकलन किया गया 34,400 से अधिक fainting के केसों का और इसके अतिरिक्त 43,400इलेक्ट्रोलाइट विकार जो सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर को कम करते वक्त यू एस के प्रोढो में आये पे अध्यन किया गया। परंतु ये सरे परिणाम जड़ सतही नहीं होते हे और ब्लड प्रेशर कम करने से अलग अलग प्राप्त होते है।
सोर्स – गूगल
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