मुंबई। यूनीवर्सिटी ऑफ ससेक्स के एक हालिया शोध में यह पता चला है कि दुनियाभर के करीब 35-40 प्रतिशत बच्चों को मोटापा उनके माता पिता से विरासत में मिलता है।
चिकित्सा विशेषज्ञों ने कहा कि यह शोध भारतीय लोगों के लिये काफी हद तक प्रासंगिक है क्योंकि देश के करीब तीन करोड़ लोग मोटापे के शिकार हैं।
शोध में दुनिया के सभी अहम भौगोलिक क्षेत्रों को कवर करते हुए ब्रिटेन, अमेरिका, चीन, इंडोनेशिया, स्पेन और मेक्सिको सहित करीब छह देशों में मोटापे के शिकार बच्चों और उनके माता पिता की बीएमआई बॉडी मास इंडेक्स पर विचार किया गया।
अध्ययन के मुख्य लेखक प्रोफेेसर पीटर डोल्टन ने बताया कि सर्वाधिक मोटापाग्रस्त दो देशों अमेरिका और ब्रिटेन और सबसे कम मोटापाग्रस्त दो देशों यानी चीन और इंडोनेशिया से एक लाख से अधिक नमूनों का आंकड़ा विश्लेषण करने के बाद यह पाया गया कि लगभग सभी देशों में नतीजों का स्वरूप उल्लेखनीय रूप से समान रहा।
अपने शोध में डोल्टन ने उल्लेख किया कि अध्ययन इस बात पर अहम प्रकाश डालता है कि विकसित एवं विकासशील देशों में मोटापा कैसे पीढ़ी दर पीढ़ी अनुवांशिक तरीके से संचारित होता है। अध्ययन में यह भी संकेत दिया गया कि अनुवांशिकीय संचरण की प्रक्रिया सभी अलग अलग देशों में समान है।
शोध पर टिप्पणी करते हुए बेंगलूरू में अपोलो स्पेक्ट्रा और मणिपाल हॉस्पिटल में मोटापा के लिये जाने माने सर्जन डॉ. एम जी भट्ट ने कहा, ‘‘मोटापा से ग्रस्त अपने कई मरीजों में मैंने पाया है कि उनके बच्चे भी मोटापा से ग्रस्त हैं, जो इस बात का संकेत हैं कि यह पारिवारिक कारक होता है और अनुवांशिक रूप से विरासत में मिलता है।’’
एक्सिस अस्पताल में न्यूट्रनिस्ट एंड वेट लॉस कंसल्टेंट डॉ. सुप्रीत ग्रोवर ने कहा, ‘‘मोटापा के लिये कई कारक जिम्मेदार हो सकते हैं और मेरा भी मानना है कि मोटापा हमारी अनुवांशिक विरासत और पारिवारिक कारक है।’’
ग्रोवर ने कहा कि अपने खान पान के तरीकों में बुद्धिमानीपूर्वक तब्दीली लाकर मोटापा नियंत्रित किया जा सकता है। मुंबई में सैफी हॉस्पिटल में कंसल्टेंट इंडोक्राइनोलॉजिस्ट, डायबिटोलॉजिस्ट एंड मेटाबोलिक फिजिशियन डॉ. अल्तमश शेख ने कहा, ‘‘मां में ना केवल मोटापा बल्कि गर्भावस्था से पहले या उस दौरान मधुमेह की शिकायत भी बच्चों में टाइप 2 मधुमेह और मोटापा का खतरा बढ़ाती है।’’ भाषा