लंदन। भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक समेत अनुसंधानकर्ताओं ने गर्भाशय कैंसर के लिए नई उपचार पद्धति विकसित की है जो बिना किसी दुष्प्रभाव के ट्यूमर के आकार को कम करती है।
अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक, कोशिकाओं में फॉलिक एसिड के प्रवेश करने के तरीके पर काम करने वाली नई दवा उन महिलाओं के लिए काफी लाभदायक साबित हो सकती है जो गर्भाशय कैंसर से ग्रस्त हैं और मानक उपचार से जिन्हें कोई लाभ नहीं मिल रहा।
यह दवा थाइमीडिलेट सिंथेस नाम के अणु का रास्ता रोककर कैंसर कारक कोशिकाओं को नष्ट करती है।
ब्रिटेन में इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर रिसर्च की दवा विकास इकाई के उप निदेशक उदय बनर्जी ने कहा कि इस परीक्षण में हमें जो नतीजे दिखाई दिए, वो बहुत शानदार हैं। दवा के विकास के इतने शुरुआती स्तर में इस तरह के प्रभावों के स्पष्ट साक्ष्य देखना दुर्लभ है।
उन्होंने कहा कि इस विशेष दवा की खूबसूरती है कि यह कैंसर कोशिका पर ही केंद्रित होता है। इसका मतलब है कि दुष्प्रभाव बहुत कम होते हैं और यह गर्भाशय कैंसर रोगियों के लिए सरल उपचार बन जाता है।
इस टीम ने अपने पहले चरण के व्यापक परीक्षण में गर्भाशय कैंसर से ग्रस्त 15 महिलाओं में ड्रग ‘ओएनएक्स-0801’ का परीक्षण किया।