जोड़ो में दर्द आम बात हो गयी है आजकल ,ना सिर्फ बुजुर्गो में बल्कि छोटे उम्र के लोगो में भी जोड़ो के दर्द की शिकायत आम बात हो गयी है। कई ऐसे केसेस होते है, जिसमे 15 से 25 साल तक के उम्र के लोगो, चाहे वो लड़की हो या लड़कियां।
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आज के समय में जोड़ो का दर्द अब बीमारी का रूप ले चूका है। हालांकि जोड़ो के दर्द की कई वजह हो सकती है , जिनमें आथ्र्राइटिस , बर्साइटिस, अधिक मेहनत की वजह से पैदा हुआ खिंचाव, मोच, चोट वगैरह खास हैं। घुटनों का दर्द सबसे आम है। इसके बाद कंधे व कूल्हों में दर्द से जुड़े मामले सामने आते हैं।
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लगभग 80 प्रतिशत भारतीयों में विटामिन 'D' की कमी पायी गयी जिससे जोजो के दर्द में इजाफा होता है । पिछले दो दशकों में देश में तीस से पचास आयुवर्ग के लोगों में ऑस्टियोआथ्र्राइटिस की समस्या तेजी से बढ़ी है। हर साल करीब डेढ़ करोड़ नए लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं।
गलत ढंग से बैठकर देर तक काम करने वाले वयस्क कंधे और गर्दन के जोड़ों में दर्द यानी सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। ताजा आकड़ों के मुताबिक पुरुषों की तुलना में महिलाएं तीन गुना ज्यादा संख्या में जोड़ों के दर्द से जूझ रही हैं।
रीढ़ या जिन जोड़ों पर शरीर का भार ज्यादा होता है, वे इससे ज्यादा आक्रांत होते हैं। सामान्य स्थिति में इसे ही हम आथ्र्राइटिस (संधिशोथ) के एक प्रकार ऑस्टियोआथ्र्राराइटिस या अस्थि संधिशोथ के रूप में देखते हैं।
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