नई दिल्ली। वो कहते है न कि दुर्घटना से बचाव भला, यह बातें सिर्फ बोलने कि लिए ही नहीं बल्कि अपनाने के लिए भी होती है। अगर हमारा शरीर स्वस्थ्य है तो हममें बड़ी से बड़ी बिमांरियों से बचने की क्षमता होती है। और यह तो हम सभी जानते हैं कि ब्रेन हमारी पुरी बोडी को कंट्रोल करता हैं। लेकिन अगर वहीं बीगड़ जाएं तो? आईए आज हम आपकेा बताते है एक ऐसी समस्या के बारे में जिससे कि समय रहते ही बचाव किया जा सकता है। इस बेहद गंभीर समस्या का नाम हैं ब्रेन स्ट्रोक। जिसे हम ब्रेन अटैक के नाम से भी जानते है। बता दें कि इस स्थिति में मरीज को तुरंत इमरजेंसी केयर की जरूरत होती है। बेहतर यही है कि स्वस्थ रहते ही इससे बचे रहने के लिए सही जीवनशैली अपनाई जाए और लक्षण दिखने पर चिकित्सकीय सहायता लेने में देर न करें।
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यदि मस्तिष्क के किसी भाग में खून का संचार बाधित हो जाए, तो मस्तिष्क के सामान्य कार्यों में बाधा आ जाती है। इस स्थिति को स्ट्रोक या ब्रेन अटैक कहा जाता है। इसमें अर्जेंट मेडिकल अटेंशन की जरूरत होती है। यह स्ट्रोक मस्तिष्क में रक्त का संचार करने वाली किसी रक्तवाहिका में ब्लॉकेज होने से या रक्त का रिसाव होने से हो सकता है।
अलग-अलग प्रकार के स्ट्रोक
मस्तिष्क की किसी रक्तवाहिका में खून का थक्का जमने से स्ट्रोक होता है, जिसे सेरेब्रल थ्रॉम्बोसिस कहते हैं। एक होता है सेरेब्रल हैमरेज यानी जब मस्तिष्क की कोई रक्तवाहिका फट जाती है और आसपास के ऊतकों में खून का रिसाव होने लगता है। इससे एक तो मस्तिष्क के विभिन्ना भागों में खून का प्रवाह कट जाता है। दूसरे, लीक हुआ खून मस्तिष्क पर दबाव डालता है। सेरेब्रल एम्बोलिज्म से भी ब्रेन अटैक आता है।
इस अवस्था में शरीर के किसी अन्य भाग में खून का थक्का बनता है और फिर वह रक्त के बहाव के साथ मस्तिष्क में पहुंच जाता है। इन सभी अवस्थाओं वाले स्ट्रोक का परिणाम एक ही है कि रक्त संचरण बाधित होने से मस्तिष्क को ऑक्सीजन और पोषण मिलना बंद हो जाता है तथा उसमें फैले न्यूरॉन्स तेजी से मरने लगते हैं।
जिसके कारण मस्तिष्क के जिस भाग में क्षति हुई है, उससे संबंधित शरीर का अन्य भाग नाकाम हो जाता है, जैसे कि पक्षाघात (पैरालिसिस) हो जाना। इसलिए ब्रेन स्ट्रोक आते ही तुरंत मरीज को चिकित्सकीय सहायता मिलना चाहिए ताकि क्षति कम से कम हो।
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ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण
. शरीर में अचानक बेहद कमजोरी और शरीर का एक तरफ का हिस्सा अशक्त महसूस होना
. बेजान-सा एहसास (नम्बनेस)
. कंपकंपी, ढीलापन, हाथ-पैर हिलाने में नियंत्रण का अभाव
. नजर का धुंधलाना, एक आंख की दृष्टि जाना
. जुबान का अचानक तुतलाने, लड़खड़ाने लगना
. दूसरे क्या कह रहे हैं, यह सहसा समझ न पाना
. जी मितलाना, उल्टी, चक्कर आना
. अचानक गंभीर सिरदर्द
. यदि स्ट्रोक गंभीर है, तो व्यक्ति बेहोश भी हो सकता है।
ऐसे में जान बचाना पहली प्राथमिकता
तुरंत चिकित्सकीय सहायता में चिकित्सक आवश्यक दवा व अन्य ट्रीटमेंट देंगे। अच्छी नर्सिंग केयर से मरीज की हालत ज्यादा बिगड़ने से बच सकती है। इमरजेंसी ट्रीटमेंट के बाद भी रीहैबिलिटेटिव थैरापीज जैसे फिजियोथैरापी, स्पीच थैरापी आदि की जरूरत होती है। ये सब जान बचाने के बाद की बातें हैं। सडन स्ट्रोक से व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।
स्ट्रोक के कारण हुआ नर्व डैमेज स्थायी भी हो सकता है। इसलिए स्वस्थ रहते ही सावधानी रखना, स्वस्थ जीवनशैली अपनाना और लक्षण दिखते ही तुरंत चिकित्सकीय सहायता के लिए पहुंचना जरूरी है।
ऐसे करें बचाव
. सिगरेट न पीना
. ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में रखना। समय.समय पर रक्तचाप की जांच कराना व डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाइयों को नियमित रूप से लेना
. वजन बढ़ने न देना
. नमक कम खाना
. हैल्दी डाइट और नियमित व्यायाम
. ब्लड शुगर पर ध्यान देना
. कोलेस्ट्रॉल को न बढ़ने देना।
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