तिरूवनतंपुरम। केरल की राजधानी तिरूवनंतपुरम में महिलाओं में फेफड़ों के कैंसर के मामलों में काफी वृद्धि हुई है। कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (केआईएमएस) अस्पताल के सीनियर कंसल्टिंग क्लीनिकल ओंकोलॉजिस्ट डॉ जयप्रकाश माधवन ने कहा, यह वृद्धि बढ़ती धूम्रपान की प्रवृत्ति और वायुमंडलीय प्रदूषण की वजह से है।
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कोच्चि स्थित वीपीएस लेकशोर अस्पताल के कैंसर चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ.वीपी गंगाधरण ने बताया कि वर्ष 2015-16 में सिर्फ वीपीएस लेकशोर अस्पताल में फेफड़ों के कैंसर से पीड़ति 142 मरीजों का इलाज किया गया। इसके अलावा, फेफड़ों के कैंसर से 67 फीसदी पुरूष भी प्रभावित हैं और इनमें से पांच प्रतिशत युवा हैं। उन्होंने बताया कि फेफड़ों के कैंसर के पूरी तरह से ठीक होने की बहुत कम संभावना होती है। फेफड़ों के कैंसर के मरीजों को तंबाकू से दूर रहने और दूषित वातावरण के संपर्क में आने से बचने की सलाह दी जाती है।
इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ कैंसर रजिस्टर्स (आईएसीआर) के कैंसर निगरानी परियोजना की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, विभिन्न प्रकार के कैंसरों जैसे स्तन, गर्भाशय और मुंह के कैंसर के बाद फेफड़ों का कैंसर चौथे स्थान पर आता है।
भारत में हर साल फेफड़ों के कैंसर के 63 हजार नये मामले सामने आते हैं। भारत वर्तमान में कैंसर के 6.9 प्रतिशत नये मामलों का सामना कर रहा है और इन सभी मामलों में फेफड़ों के कैसर से 9.3 प्रतिशत लोगों की मौत हो जाती है। सभी मामलों में 90 प्रतिशत मामले तम्बाकू के सेवन से जुड़े होते है। हालांकि, फेफड़ों के कैंसर के कुछ मामलों में धूम्रपान कारण नहीं रहा है और इसके कई अन्य कारण हैं जिसमें पर्यावरण, हार्मोन, आनुवांशिक और वायरस कारक शामिल है।
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फेफड़ों के कैंसर से होने वाली मौतों की संख्या अधिक होती है क्योंकि इस समस्या का निदान प्रारंभिक चरण में नहीं किया जा सकता है। फेफड़ों के कैंसर आमतौर पर क्षय रोग के रूप में सामने आता है। जब मरीज में फेफड़ों के कैंसर का पता चलता है और जब इसे उपचार के दायरे में लाया जाता है लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी होती है।
फेफड़ों के कैंसर के लक्षण एक लंबे समय तक खांसी, लगातार छाती में संक्रमण, भूख या अचानक से वजन घटाने, थकान या ऊर्जा की कमी, सांस या घबराहट और कर्कश आवाज की तकलीफ आदि हैं जिसका इलाज किया जा सकता है। इसके बाद प्रारंभिक चरण में तत्काल चिकित्सा जांच कराने के बाद फेफड़ों के कैंसर का सामाधान हो सकता है। अच्छा भोजन और खान-पान की बेहतर आदतों से फेफड़ों के कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं। इसके लिए धूम्रपान से दूर रहना भी बहुत जरूरी है। -एजेंसी
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