20 से 28 वर्ष की उम्र जोश व उत्साह से भरी होती है, लेकिन 30 की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते सेहत के प्रति लंबे वक्त से चल रही अनदेखी के कारण कई प्रकार की बीमारियां पनपने लगती हैं। गाइनेकोलॉजिस्ट और ऑब्सट्रेशियन डॉ$ ज्योति बाली बताती हैं कि 30 की उम्र पार करते ही महिलाओं में अनियमित पीरियड्स, पीसीओडी, थायरॉइड जैसी बीमारियां हमला करने लगती हैं। इसके अलावा कैल्शियम की कमी भी महिलाओं में इस उम्र के बाद आमतौर पर देखने को मिलती है। 30 के बाद और कौन-कौन सी बीमारियां महिलाओं को परेशान करती हैं,
आइए जानें:बच कर रहें पीसीओडी से
पॉलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम के कारण शरीर में तेजी से हारमोन से जुड़े बदलाव होते हैं। इसके कारण अंडे पैदा करने और गर्भधारण के लिए गर्भाशय को तैयार करने की प्रक्रिया प्रभावित होती है। यह समस्या देश में प्रजनन आयु वाली करीब 10 प्रतिशत महिलाओं में पाई जाती है। पीसीओडी में ओवरी (अंडाशय) में थैलीनुमा कोश उभर आते हैं, जिसमें एक तरल पदार्थ भरा होता है।
पीसीओडी से ग्रस्त मरीज में हार्मोन का स्तर असामान्य हो जाता है। इस बीमारी से पीडि़त महिलाओं के शरीर में अत्यधिक मात्रा में इंसुलिन भी बनने लगता है, जिसकी वजह से उनके शरीर में पुरुष हार्मोन एस्ट्रोजन का उत्पादन बढऩे लगता है। उनके चेहरे पर पुरुषों की तरह बाल आने लगते हैं।
स्तन की करें नियमित जांच
30 साल की आयु के बाद महिलाओं के स्तन में अमूमन गांठें बन जाती हैं। जरूरी नहीं है कि स्तन में बनने वाली हर गांठ कैंसर की ओर ही इशारा कर रही हों। पर,यह कैंसर का शुरुआती संकेत जरूर है। भारत में हर 28 में एक महिला को ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा होता है। इस बीमारी से बचने के लिए नियमित रूप से अपने स्तन की जांच करें। सही समय पर पता लगने से इस बीमारी का इलाज संभव है।
एंड्रोमेट्रियॉसिस
एंड्रोमेट्रियॉसिस बीमारी में महिला के गर्भाशय यानी यूट्रस की बाहरी परत बनाने वाला उत्तक यानी टिश्यू असामान्य रूप से बढक़र शरीर के अन्य अंगों जैसे अंडाशय, फेलोपियन ट्यूब और अन्य आंतरिक अंगों तक फैल जाता है। इस बीमारी से पीडि़त महिला को जब पीरियड होता है तो ये टिश्यू टूट जाते और इनमें घाव हो जाता है परिणामस्वरूप पीरियड के वक्त उन्हें असहनीय दर्द होता है।
यह परेशानी उन्हें हर माह झेलनी पड़ती है। इस बीमारी के कारण गर्भधारण की क्षमता भी कई बार प्रभावित हो जाती है। जांच, हार्मोन ट्रीटमेंट और सर्जरी के माध्यम से इस बीमारी का इलाज किया जाता है।
थाइरॉएड प्रभावित करता है वजन
थाइरॉएड एक बहुत ही महत्वपूर्ण ग्लैंड होता है, जो तितली के आकार का होता है। यह गले के सामने और श्वास नली के ऊपर एवं स्वर यंत्र के दोनों तरफ दो भागों में बंटा होता है। थाइरॉएड ग्रंथि शरीर में हामार्ेन का स्राव करती है और मेटाबॉलिज्म को भी नियंत्रित करती है।
हम जो भी खाना खाते हैं, उसको यह थाइरॉएड ग्रंथि शरीर के लिए उपयोगी ऊर्जा में बदलती है। थाइरॉएड ग्रंथि से निकलने वाले हार्मोन शरीर की लगभग सभी क्रियाओं पर अपना प्रभाव डालते हैं। ब्लड टेस्ट से थाइरॉएड से जुड़ी परेशानी का पता लगाया जाता है।
सर्वाइकल कैंसर है एक बड़ा खतरा
पूरी दुनिया में 10 में से एक महिला सर्वाइकल कैंसर की शिकार होती हैै। भारत में जागरूकता और इलाज की कमी की वजह से यह बीमारी जानलेवा साबित हो रही है। इसे बच्चादानी, गर्भाशय या फिर यूट्राइन सर्विक्स कैंसर भी कहा जाता है। सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पैपीलोमा वायरस (एचपीवी) के कारण होता है।
इसके अधिकांश मामले 40 साल या इससे ज्यादा उम्र की महिलाओं में देखे गए हैं। पर, ऐसा भी नहीं है कि 40 से कम उम्र की महिलाओं को यह बीमारी अपना शिकार नहीं बनाती। पैप स्मीयर टेस्ट से समय रहते इस बीमारी के बारे में पता लगाया जा सकता है।