तम्बाकू नियंत्रण पर वैश्विक संगोष्ठी- काप 7 भारत में..

Samachar Jagat | Wednesday, 07 Dec 2016 05:40:09 PM
carp on Tobacco Control in India

एफ.सी.टी.सी. विश्व स्वास्थ्य संगठन की पहली अंतर्राष्ट्रीय संधि है जिसने सफलतापूर्वक तम्बाकू के विरुद्ध वैश्विक एकजुटता को प्रोत्साहित और उर्जित किया है.  कांफ्रेंस ऑफ़ पार्टीज- काप, विश्व स्वास्थ्य संगठन के अंतर्गत कार्यरत वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण अंतर्राष्ट्रीय संधि (एफ.सी.टी.सी.- फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबेको कंट्रोल) का प्रबंध निकाय है. लगभग 180 सदस्य राष्ट्रों से निर्मित इस निकाय (काप) का कार्य कन्वेंशन को लागू किये जाने की नियमित समीक्षा करना और उन निर्णयों को लेना है जोकि इसे प्रभावी रूप से लागू किये जाने को बढावा दें. साथ ही  काप का कार्य संधि के प्रोटोकॉल, अनुबंधों और संशोधनों को अपनाना है. संधि के उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु यह सहायक निकाय भी स्थापित कर सकती है, उदाहरणानार्थ तम्बाकू पदार्थों के गैरकानूनी व्यवसाय को रोकने हेतु अंतर-सरकारी वार्ता निकाय (इंटरगवर्नमेंटल नेगोशिएटींग बॉडी). संधि के विभिन्न प्रावधानों को लागू करवाने हेतु काप ने मार्गदर्शिकाओं और अनुशंसाओं का निर्माण करने हेतु कई सहायक समूह भी स्थापित किये हैं.

फरवरी 2006 से अब तक 6 काप गोष्ठियां हो चुकी हैं, क्रमश: वर्ष 2007, 2008, 2010, 2012 और 2014 में. प्रत्येक नियमित काप संगोष्ठी में आगामी संगोष्ठी की दिनांक और स्थान का निर्णय कर लिया जाता है. अंतिम काप मास्को, सोवियत रूस में आयोजित किया गया थी. काप 3 के बाद से हर दो वर्षों से नियमितता से आयोजित इस संगोष्ठी का कार्य प्रक्रिया के नियमों द्वारा संचालित होता है और इसमें सम्मिलित हुए पर्यवेक्षक भी इसके कार्यों में भाग ले सकते हैं.कोई भी सदस्य एक असाधारण सत्र बुलाने की माँग कर सकता है, यदि इस हेतु उसे एक तिहाई सदस्य राष्ट्रों का समर्थन प्राप्त है. हर संगोष्ठी का एक अस्थायी एजेंडा कन्वेंशन सचिवालय द्वारा काप के ब्यूरो के साथ परामर्श कर तैयार कर लिया जाता है.

इस वर्ष आयोजित काप 7, भारत में पहली बार, देहली स्थित इंडिया एक्सपो सेन्टर एंड मार्ट, ग्रेटर नॉएडा में 7 से 12 नवम्बर तक कार्यरत है. इसमें ~180 देशों से आये प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं. साथ ही यूरोपियन यूनियन जैसे कुछ क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण संघटन, कई गैर-सरकारी संगठन, तम्बाकू-विरोधी सक्रियतावादी भी इसमें भाग ले रहे हैं. भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन, जिनेवा स्थित कन्वेंशन (एफ.सी.टी.सी.) सचिवालय की सहभागिता से आयोजित किया है. इस संगोष्ठी का भारत में आयोजित होना भारत सरकार की ऍफ़.सी.टी.सी. द्वारा प्रदत्त जागरूकता और अंतर्राष्ट्रीय एकीकरण को सततता से प्रोत्साहित करते रहने का सूचक है, विशेषकर दक्षिण-पूर्वी एशिया में.  

बजट 2016 में तम्बाकू पर टैक्स-वृद्धि: क्या यह पर्याप्त है?

काप 7 की शुरुआत जहाँ एक ओर प्रभावी रही है और एक आशा भी है कि इससे समूचे देश में तम्बाकू नियंत्रण को एक अपेक्षित मजबूती मिलेगी, वहां दूसरी ओर तम्बाकू उध्योग और उसके सहयोगी अग्रणी-समूह जैसे किसानों के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठन जिन्हें संधि के सिद्धान्तों के अनुरूप नीतिगत रूप से इसमें भाग लेने की अनुमति नहीं मिल पाई, वे इसका पुरजोर विरोध कर रहें हैं. उनका यह मत है कि क्योंकि इस संगोष्ठी में उनकी जीविका का निर्णय किया जायेगा, इसलिए उन्हें भी इसमें सम्मिलित किया जाना चाहिए सतही तौर पर तर्क-संगत लगता है.

परन्तु, जो इस व्यवसाय को जानते-समझते हैं, उनकी मानें तो यह एक ऐसा उध्योग है जो करोड़ों के जानलेवा रोगों से पीड़ित हो मृत्यु हो जाने के तथ्य को जानते हुए और बिना पसीजे, मात्र अपने को लाभान्वित करने हेतु, अपने साझेदारों (किसानों, बीड़ी निर्माताओं, थोक- व खुदरा- व्यापारियों) को एक वैकल्पिक व्यवसाय चुनने-अपनाने में सहायक नहीं बन पाया है. ना ही उस पर भविष्य में इस हेतु उस पर कोई विश्वास किया जा सकता है. बल्कि इसको भाग लेने देने से यह भय अत्यधिक है कि वह तत्पश्चात काप 7 में लिए गए निर्णयों को कई राष्ट्रों की सरकारों से मिल वहां हो रहे तम्बाकू नियंत्रण के प्रयासों को निष्क्रिय कर सकता है अथवा उन्हें कमजोर तो कर ही देगा, अपने उध्योग को बढावा देने हेतु कोई भी हथकंडा अपनाने से नहीं चूकेगा.

तम्बाकू उध्योग के तम्बाकू नियंत्रण को भारत में कमजोर करते रहने के कई उदहारण दिए जा सकते हैं जैसे कि तम्बाकू नियंत्रण का समर्थन करने वाले मंत्रियों को स्वास्थ्य मंत्रालय से किसी और विभाग का मंत्री बनवा देना, तम्बाकू नियंत्रण हेतु निर्मित संसदीय सरकारी समितियों में तम्बाकू निर्माताओं को सम्मिलित करवाया जाना, कोटपा के नियमों का उल्लंघन और उनके प्रवर्तन की कार्यवाही को येन-केन-प्रकारेण बाधित करना, नियमों के अंतर्गत ली जाने वाली दण्ड-राशि में बढोतरी को अपरोक्ष रूप से रुकवाए रहना, चेन्नई व देश के अन्य प्रमुख शहरों में स्कूली विद्यार्थियों की पुस्तिकाओं में छद्म रूप से विज्ञापन देना या उन्हें मुफ्त में तम्बाकू पदार्थ बाँटना और दक्षिणी राजस्थान के शहरों और चिकित्सा संस्थानों में सामाजिक सेवा के नाम पर बाग-बगीचों का रख-रखाव, सांस्कृतिक व खेल कार्यक्रमों के प्रयोजन के माध्यम से अपने को विज्ञापित करना इत्यादि.

बजट 2016 में तम्बाकू पर टैक्स-वृद्धि: क्या यह पर्याप्त है?

यही कारण हैं कि तम्बाकू उध्योग को काप 7 में क्या, किसी भी अन्य तम्बाकू नियंत्रण मुहीम में सम्मिलित नहीं किये जाने हेतु स्पष्ट वैश्विक नीति निर्धारित की जा चुकी है. प्रादेशिक ही नहीं अपितु राष्ट्रीय स्तर पर भी इसे कठोरता और सतर्कता के साथ लागू किया जाना आवश्यक है यदि समूचे भारत में तम्बाकू उपभोग कम हो और उससे होने वाली जन-, उत्पाद- और आर्थिक- हानियों से उसे मुक्ति मिल पाए जैसा कि भारत के स्वास्थ्य मंत्री जी ने काप 7 के उद्घाटन संबोधन में चाहा है.

उन्होंने देश को सालाना 22 अरब डॉलर हानि से मुक्ति दिलाने हेतु अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की मांग भी रखी है परन्तु यदि भारत सरकार निश्चित कर ले तो बिना किसी सहयोग के भी देश में 2025 तक तम्बाकू उपभोग में 30% कमी के वैश्विक लक्ष्य से कहीं बड़ी उपलब्धि प्राप्त की जा सकती है.

यदि सरकार काले धन को समाप्त करने की कड़ी इच्छा-शक्ति को रातों-रात लागू कर सकती है तो यह दु:खद ही है की तम्बाकू उध्योग से मुक्त होने के लिए अब तक की सरकारें समान कदम नहीं उठा सकी हैं. अब समय आ गया है कि इसको अब तक मिलता आया राजनैतिक संरक्षण जड़ से समाप्त हो और आम आदमी को तम्बाकू की हानियों और नशे से होने वाले रोगों और मृत्युओं से मुक्ति मिले. इन्हें निश्चित रूप से रोका जा सकता है, यह ही है काप 7 की भावना, उद्देश्य और लक्ष्य भी!       

लेखन-

डॉ. राकेश गुप्ता, अध्यक्ष, राजस्थान कैंसर फाउंडेशन और वैश्विक परामर्शदाता, गैर-संक्रामक रोग नियंत्रण (केन्सर और तम्बाकू).

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