देहात कोतवाली में गाय पर मालिकाना हक के लिए दो पक्षों में जमकर हंगामा हुआ। नोकझोंक तक हुई। अंत में फैसला गाय की डिलीवरी पर आकर रुका। दोनों पक्ष गाय की प्रेगनेंसी डेट अलग-अलग बता रहे थे। ऐसे में पुलिस ने तय किया कि गाय की डिलीवरी जिसकी डेट के आधार पर होगी। गाय उसी के हवाले कर दी जाएगी।
शुक्रवार को देहात कोतवाली पहुंचे गांव हकीमपुरा निवासी कश्मीरा ने देहात कोतवाली में शिकायत कर नूर बस्ती निवासी नूर हसन के पास उसकी गाय होने का आरोप लगाया। बताया कि करीब तीन दिन पहले वह भगवती कॉलोनी के पास अपने मवेशी चरा रहा था।
इसी दौरान कुछ लोग आए और उसकी गाय को अपना बताकर छीन ले गए। कश्मीरा की शिकायत पर पुलिस ने नूर हसन को गाय समेत कोतवाली बुला लिया। कश्मीरा पक्ष के कई लोग देहात कोतवाली पहुंचे थे। उधर नूर हसन भी अपने साथ कुछ लोगों को लाया था।
कोतवाली में दोनों पक्ष गाय पर अपना-अपना हक जताते रहे। घंटों चले दावों के बाद कश्मीरा ने एक डायरी निकाली। उसका कहना था कि उसके पास गाय के प्रेगनेंट होने की डेट भी लिखी हुई है। गाय इस समय सातवें महीने में है।
उधर, नूर हसन का कहना था कि गाय को आठवां महीना चल रहा है। इसके बाद कोतवाली प्रभारी ने पशु चिकित्सक को बुलाकर गाय की प्रेगनेंसी के बारे में जानकारी चाही, मगर चिकित्सक ठीक से बता नहीं सका।
इसके बाद तय हुआ कि यदि गाय कश्मीरा के समय के मुताबिक डिलीवरी करती है तो गाय कश्मीरा को दी जाएगी। यदि नूर हसन की डेट के हिसाब से डिलीवरी करती है तो नूर हसन को सौंप दी जाएगी। इस बात से दोनों पक्ष सहमत हो गए।
इसके बाद गाय डिलीवरी होने तक कश्मीरा के हवाले कर दी गई। उधर, कोतवाली प्रभारी रामपाल सिंह ने बताया कि गाय की डिलीवरी ही यह तय करेगी कि उसका मालिक कौन है।
गाय पर मालिकाना हक को लेकर दोनों पक्ष के लोग देहात कोवताली पहुंचे थे। इस दौरान गाय की पहचान के लिए गाय को भी कोतवाली लाया गया था। दोनों पक्ष घंटों अपना-अपना हक जताते रहे। इस दौरान गाय को फैसला होने तक कोतवाली के बाहर ही रोके रखना पड़ा।