क्या  हैं वो कारण जिनकी वजह से देरी से शादी कर रहे हैं युवा

Samachar Jagat | Friday, 01 Jul 2016 10:17:17
These are the reasons why the young getting  marriage  late

ऐसा नहीं है कि आजकल की पीढ़ी का शादी पर भरोसा नहीं है या वो शादी को बंधन नहीं बल्कि कैद समझते हैं। उनकी विशलिस्ट में शादी होती है। उन्हें भी दुख होता है जब स्कूल या कॉलेज का कोई दोस्त फेसबुक पर अपनी शादी या सगाई की तस्वीर अपलोड करता है। लेकिन कुछ कारण हैं जिनकी वजह से आजकल के अधिकतर युवा 26-28 साल की उम्र के बाद ही शादी की प्लानिंग करते हैं। 

1. 'ड्रीम वेडिंग' से पहले फाइनेंशियल स्टेबिलिटी चाहते हैं युवा 

हर लड़की की ख्वाहिश होती है कि वो अपने शादी में सबसे खूबसूरत लगे, उसकी शादी का जोड़ा खास हो। वेन्यू, हनीमून और उसके आगे की ज़िंदगी भी तमाम सुख सुविधाओं से लैस हो। वहीं, लड़कों को भी अपनी नई जिम्मेदारियों का एहसास होता है, जिसके चलते वह शादी से पहले एक स्टेबल करियर और तगड़ी सेविंग कर लेना चाहते हैं। 

ऐसा नहीं है कि हमारे मां-बाप के जमाने में लड़की या लड़कों को अपनी नई जिम्मेदारियों का एहसास नहीं होता था या उनकी कोई ख्वाहिश नहीं थी। लेकिन करियर को लेकर जितना कॉम्पटीशन है, वो पहले नहीं था। आज एक अच्छी लाइफस्टाइल, घर और गाड़ी हासिल करना जितना महंगा है, उतना पहले नहीं था। एक समस्या ये भी है कि आजकल की पीढ़ी सबकुछ जल्दी से जल्दी हासिल कर लेना चाहती है। इस चक्कर में भी शादी का इरादा वो जिंदगी की गाड़ी में बैक सीट पर रख देते हैं।


2. लड़कियां हायर एजुकेशन और करियर पर फोकस कर रही हैं

पहले के ज़माने में ग्रैजुएशन के बाद ही लड़कियों का रिश्ता पक्का कर दिया जाता था। लेकिन आजकल लड़कियां ग्रैजुएशन से भी आगे पढ़ना चाहती हैं। कई तो नौकरी भी कर रही हैं। वहीं मेट्रोपोलिटन संस्कृति के प्रसार से ऐसे लड़कों की तादाद भी बढ़ती जा रही है जो ये चाहते हैं कि उनकी पत्नी पढ़ी-लिखी और नौकरीपेशा हो ताकि वो उसे आर्थिक और मानसिक तौर पर सहयोग कर सके।  


3. लड़का-लड़की एक दूसरे को समझने के लिए वक्त चाहते हैं

केवल लव मैरेज ही नहीं, अरेंज मैरेज करने वाले लड़के-लड़कियां भी चाहते हैं कि वो शादी से पहले अपने भावी जीवनसाथी को अच्छे से जान-समझ सकें। यही वजह है कि अब शादी से करीब 6-8 महीने पहले सगाई करने का भी प्रचलन बढ़ा है। इस दौरान लड़का-लड़की को एक दूसरे से बात करने का मौका मिलता है। वहीं, लव मैरेज करने वाले कपल काफी दिनों तक एक दूसरे को डेट करते हैं, पूरा वक्त लेते हैं एक-दूसरे को जानने-समझने भी और फिर शादी का प्रस्ताव रखते हैं। 


4.लिव इन रिलेशनशिप को मिली कानूनी मान्यता

भारत में नागरिकों को मिले मौलिक अधिकारों में से एक 'जीने का अधिकार' ('राइट टू लाइफ') के तहत लिव इन में रह रहे लोगों को कानूनी मान्यता हासिल है। पिछले साल (अप्रैल 2015) में सुप्रीम कोर्ट के दिए आदेश के मुताबिक अगर कोई लड़का और लड़की लंबे वक्त से एक दूसरे के साथ पति-पत्नी की तरह रह रहे हैं, तो उन्हें शादीशुदा माना जाएगा। इसके अलावा घरेलू हिंसा कानून (प्रोटेक्शन ऑफ वूमन फ्रॉम डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट 2005) के तहत भी लिव इन में रह रही महिलाओं को साथ रह रहे पुरुष से निर्वाह-व्यय यानी ऐलमोनी मांगने का हक है।

कुल मिलाकर, लिव इन रिलेशनशिप को भले ही समाज ने अभी तक स्वीकार नहीं किया है, लेकिन ये गैर कानूनी भी नहीं है। इसलिए करियर बनाने में मशगूल और ज़िंदगी अपने हिसाब से जीने की तमन्ना रखने वाले शादी से पहले लिव इन रिलेशनशिप को तवज्जो देते हैं। सामने वाले को करीब से जानने के बाद ही वो शादी करने का फैसला करते हैं


5.परफेक्ट मैच

करीब 20-30 साल पहले, शादी के लिए लड़कियों को खाना पकाना आना और घर के कामकाज में दक्ष होना अनिवार्य होता था। वहीं, लड़कों की सैलरी और उसके खानदान का रुतबा ही शादी के लिए उसे योग्य साबित करने के लिए काफी था। लेकिन आज की तारीख में लड़के जहां पढ़ी-लिखी और नौकरीपेशा लड़कियों को अपना जीवनसाथी बनाना चाहते हैं, वहीं लड़कियां भी ऐसे पति की तलाश करती हैं जो न सिर्फ दफ्तर के काम करे, बल्कि घर के काम काज में भी उसका हाथ बटाए, दोनों के विचार एक दूसरे से मेल खाते हों, वो रोमांटिक हो, वगैरह वगैरह। मनचाहा पति या पत्नी पाने के लिए वो इंतज़ार करते हैं और इस चक्कर में उनकी शादी लेट होती है। 



 

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