मराठी रंगमंच से बॉलीवुड तक कुछ इस तरह रहा 'रीमा लागू' का अभिनय सफरनामा

Samachar Jagat | Thursday, 18 May 2017 11:30:06 AM
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मुम्बई। मराठी रंगमंच से अभिनय जीवन की शुरूआत करनें वाली अभिनेत्री रीमा लागू ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है। हिन्दी फिल्मों और टेलीविजन धारावाहिकों की मशहूर अदाकारा रीमा लागू पर्दे पर ‘मां’ और ‘सास’ का जीवंत किरदार निभाने के लिए जानी जाती थी। भारतीय सिनेमा और टेलीविजन धारावाहिकों में सलमान खान और शाहरूख खान जैसे बड़े बड़े अभिनेताओं की ‘मां’ का किरदार बखूबी निभाया था। उनकी मशहूर फिल्मों में आशिकी, हम आपके है कौन, कुछ कुछ होता है, वास्तव और साजन आदि शामिल है।

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इसके अलावा उन्हें टीवी पर सुपरहिट धारावाहिक श्रीमान श्रीमती और तू तू मैं मैं के किरदारों के लिए जाना जाता है। रीमा भहदी के अलावा मराठी फिल्मों का भी हिस्सा रही थी। इन दिनों वह टीवी धारावाहिक ‘नामकरण’ में नजर आ रही थीं।

रीमा का जन्म 1958 में मुंबई में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरा करने के बाद ही मराठी रंगमंच से अभिनय की शुरूआत की थी। रीमा ने हिंदी और मराठी फिल्मों में ज्यादातर सपोर्टिंग भूमिका निभाई। उन्हें कई फिल्मों में अभिनय के लिए सम्मान भी मिल चुका है। वह हाल के दिनों में टीवी धारावाहिकों में भी दिखाई देती थीं। वह 80 और 90 के दशक की फिल्मों में मां की भूमिका में काफी लोकप्रिय हुई थीं।

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फिल्म ‘कयामत से कयामत तक’ (1988) में रीमा ने अभिनेत्री जूही चावला की मां का किरदार निभाया था। इसके बाद ‘मैंने प्यार किया’ (1989) और ‘साजन’ में 1991 में सलमान खान की मां की भूमिका अदा की। ये फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही थीं। इसके बाद उन्होंने ‘गुमराह’ (1993) और ‘जय किशन’ जैसी ड्रामा और थ्रिलर फिल्में भी कीं। ‘गुमराह’ अपने समय की सपुरहिट फिल्म रही थी और ज्यादा कमाई के भी कई रिकॉड्र्स इस फिल्म ने अपने नाम किए थे। पारिवारिक फिल्मों में रीमा की अदायगी खूब पसंद की गईं। ‘हम आपके हैं कौन’(1994), ‘ये दिल्लगी’(1994), ‘दिलवाले’(1994), ‘कुछ कुछ होता है’(1998) और ‘कल हो ना हो’(2003) में रीमा ने यादगार भूमिकाएं निभाईं।

रीमा ने ज्यादातर ‘मां’ की भूमिका कीं लेकिन इसके अलावा भी इन्होंने कई तरह के चुनौतीपूर्ण भूमिकाएं भी निभाईं। फिल्म ‘आक्रोश’(1980) में इन्होंने डांसर की भूमिका की तो वहीं ‘ये दिल्लगी’(1994) में उन्होंने एक बिजनेसवुमैन की भूमिका निभाई। इसके बाद रीमा ने ‘वास्तव’ फिल्म में डॉन संजय दत्त की मां की भूमिका की जिसमें वह अपने बेटे की हत्या कर देती हैं। 1997 में आई फिल्म ‘रूई का बोझ’ में उनके काम को खूब पसंद किया गया। इस फिल्म में उनके साथ पंकज कपूर थे।

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टीवी पर भी इस अभिनेत्री ने कई यादगार रोल निभाए। डीडी नेशनल पर प्रसारित होने वाले सीरियल ‘तू-तू, मैं-मैं’ में इस अभिनेत्री की भूमिका को खूब पसंद किया गया था। इसके लिए इस अभिनेत्री को इस कॉमिक रोल के लिए पहला इंडियन टेली अवाड्र्स से भी सम्मानित किया गया।

राजश्री प्रोडक्शन की कई यादगार और कामयाब फिल्मों में रीमा ने मां के रूप को जिंदा किया है। रीमा लागू बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस के लिए चार बार फिल्मफेयर अवार्ड भी जीत चुकी थीं। उनके निधन से पूरा बॉलीवुड, रंगमंच और टीवी जगत शोक की लहर में डूब गया है। 

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