नई दिल्ली। नामचीन गीतकार प्रसून जोशी ने आज यहां कहा कि हिन्दी फिल्मी गीतों में महिलाओं का चित्रण किसी ‘एलियन’ की तरह किया जा रहा है। प्रसून ने ‘साहित्य आज तक’ कार्यक्रम में कहा, फिल्मी गीतों में महिलाओं का चित्रण किसी एलियन की तरह हो रहा है, जिसे हमने अपनाया नहीं है।
उन्होंने कहा कि कविता और गीतों का हमारे जीवन में बड़ा योगदान है। ये संस्कृति के रक्षा कवच हैं। इसको हमें जिंदा रखना होगा, लेकिन केवल कला पक्ष ही बचा है। लोगों का संगीत में पिरोया गया गीत लोकगीत है। जावेद साहब का लिखा गया ‘लॉन्ड्री का बिल’ गीत वर्तमान दौर का लोकगीत है।
उन्होंने कहा कि राजनीति बेशर्म हो चुकी है। बेशर्मी इसका आभूषण है और कोई भी इससे अछूता नहीं है। राजनीति सभी से जुड़ी हुई है और हर जगह है। तकनीक हमारी गुलाम होनी चाहिए लेकिन अगर हम उसके गुलाम हो रहे हैं तो गलत है।
उन्होंने कहा कि धर्म को हटा दें तो सबकुछ खत्म हो जायेगा। इसकी प्रासंगिक चीजों को बचाना जरूरी है और जो अप्रासंगिक है उसे हटा देना चाहिए। एसएमएस संदेश की हत्या कर रहा है जो मंजूर नहीं है। कुमाउं में गंध के लिए 25 ज्यादा शब्द विलुप्त हो रहे हैं।
उन्होंने कहा, मंदिर, मस्जिद और गुरूद्वारों के लाउड स्पीकरों के बीच एकतारा बजाने वाले का शब्द दब गया है। इसने बहुत सारे कोमल शब्दों को दबा दिया है। सुंदर और खूबसूरत आवाज को बचाना जरूरी है।