B'day special : भावपूर्ण गीतों से श्रोताओं को दीवाना बनाया गुलशन बावरा नें

Samachar Jagat | Wednesday, 12 Apr 2017 04:09:26 PM
Gulshan Bawara Birthday special

मुंबई। बॉलीवुड में गुलशन बावरा को एक ऐसे गीतकार के तौर पर याद किया जाता है, जिन्होंने अपने भावपूर्ण गीतों से लगभग तीन दशकों तक श्रोताओं को अपना दीवाना बनाया। हिन्दी भाषा और साहित्य के करिश्माई व्यक्तित्व गुलशन कुमार मेहता उर्फ गुलशन बावरा का जन्म 12 अप्रैल 1937 को लाहौर शहर के निकट शेखपुरा में हुआ था।

महज छह वर्ष की उम्र से हीं उनका रूझान कविता लिखने की ओर था। उनकी मां विधावती धार्मिक कार्यकलापों के साथ-साथ संगीत में भी काफी रूचि रखती थी। वह अक्सर मां के साथ भजन, कीर्तन जैसे धार्मिक कार्यक्रमों में जाया करते थे।

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देश के विभाजन के बाद हुए सांप्रदायिक दंगों में उनके माता-पिता की हत्या उनकी नजरों के सामने ही हो गई। इसके बाद वह अपनी बड़ी बहन के पास दिल्ली आ गए। उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय से पूरी की। कॉलेज की पढ़ाई के दौरान उनकी रूचि कविता लिखने में हो गई।

अपने परिवार की घिसी पिटी परंपरा को निभाते हुए गुलशन मेहता ने वर्ष 1955 में अपने करियर की शुरूआत मुंबई में एक लिपिक की नौकरी से की। उनका मानना था कि सरकारी नौकरी करने से उनका भविष्य सुरक्षित रहेगा। लिपिक की नौकरी उनके स्वभाव के अनुकूल नहीं थी।

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मनोज कुमार ने गुलशन बावरा से गीत की कोई पंक्ति सुनाने के लिए कहा। तब गुलशन बावरा ने मेरे देश की धरती सोना उगले गाकर सुनाया। गीत के बोल सुनने के बाद मनोज कुमार बहुत खुश हुये और उन्होंने गुलशन बावरा से फिल्म उपकार में गीत लिखने की पेशकश की। फिल्म उपकार में अपने गीत मेरे देश की धरती सोना उगले की सफलता के बाद गुलशन बावरा ने कभी पीछे मुडक़र नहीं देखा।

गुलशन बावरा को इसके बाद कई अच्छी फिल्मों के प्रस्ताव मिलने शुरू हो गए। वर्ष 1969 में प्रदर्शित फिल्म विश्वास में कल्याण जी आनंद जी के हीं संगीत निर्देशन में गुलशन बावरा ने चांदी की दीवार ना तोड़ी जैसे भावपूर्ण गीत की रचना कर अपना अलग ही समां बांधा।

इसके बाद उन्होंने सफलता की नई बुलंदियों को छुआ और एक से बढक़र एक गीत लिखे। बहुमुखी प्रतिभा के धनी गुलशन बावरा ने कई फिल्मों मे अभिनय भी किया है। इन फिल्मों मे उपकार, विश्वास, पवित्र पापी, बेइमान, जंजीर, अगर तुम ना होते, बीवी हो तो ऐसी, इंद्रजीत आदि प्रमुख है। इसके अलावा गुलशन बावरा ने पुकार, सत्ते पे सत्ता में पाश्र्वगायन भी किया।

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गुलशन बावरा को दो बार फिल्म फेयर के सर्वश्रेष्ठ गीतकार से नवाजा गया। इनमें वर्ष 1967 में प्रदर्शित फिल्म उपकार का गीत मेरे देश की धरती सोना उगले वर्ष 1973 मे प्रदर्शित फिल्म जंजीर का गीत 'यारी है ईमान मेरा यार मेरी जिंदगी' शामिल है। अपने रचित गीतों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करने वाले गुलशन बावरा 07 अगस्त 2009 को इस दुनिया को अलविदा कह गए।- वार्ता

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