मुंबई। ‘हो तुझपे कुर्बान मेरी जान मेरा दिल मेरा इमान, यारी मेरी कहती है यार पे कर सब कुर्बान.... ’फिल्म‘ कुर्बानी’ के इस गीत को सही मायने में विनोद खन्ना ने मरते दम तक निभाया। हिंदी सिनेमा में विनोद खन्ना और फिरोज खान की दोस्ती की मिसाल दी जाती रही हैं और विनोद खन्ना की मौत भी उसी तारीख को हुई जिस दिन उनके इस दोस्त ने दुनिया को अलविदा कहा था।
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विनोद खन्ना और फिरोज खान बॉलीवुड के गिने चुने हैंडसम सितारों में शामिल किए जाते थे। दोनों सितारे काफी अच्छे दोस्त थे और कई फिल्मों में साथ काम भी किया है। दोनों अभिनेताओं को अक्सर फिल्मों के बाद भी साथ देखा जाता था। उन दोनों सितारों की दोस्ती की मिसाल आज भी दी जाती है। अपनी दोस्ती के लिए जाने जाने वाले इन दो सितारे की मृत्यु एक ही दिन हुई है।
विनोद खन्ना और फिरोज खान वर्ष 1976 में प्रदर्शित फिल्म शंकर-शंभू में पहली बार साथ नजर आए। इसके बाद दोनों की दोस्ती गहरी हो गई। फिरोज खान ने जब वर्ष 1980 में कुर्बानी बनाई तब उन्होंने विनोद खन्ना को काम करने का अवसर दिया। दोस्ती के ताने-बाने से बनी यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई थी। इस फिल्म में विनोद खन्ना ने अपनी दमदार अभिनय से सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के 'फिल्म फेयर पुरस्कार' के लिए नामित हुए थे।
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पूर्व के ‘क्लाइंट ईस्टवुड’ और बॉलीवुड के स्टाइल आइकॉन कहे जाने वाले फिरोज खान ने इसके बाद 1988 में अपनी महत्वाकांक्षी फिल्म ‘दयावान’ का निर्माण किया, जो विनोद के करियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में शामिल है। हालांकि यह फिल्म टिकट खिडक़ी पर कामयाब नहीं रही लेकिन समीक्षकों का मानना है कि यह फिल्म विनोद खन्ना के करियर की उत्कृष्ठ फिल्मों में एक है। फिरोज खान का निधन 27 अप्रैल 2009 को हुआ था और विनोद खन्ना भी 27 अप्रैल 2017 को दुनिया को अलविदा कह गए। दुनिया को अलविदा कहने वाले इन दो सितारो ने जाते जाते भी अपनी दोस्ती की मिसाल कायम कर दी।
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