नई दिल्ली। बॉलीवुड अभिनेता मनोज बाजपेयी का मानना है कि फिल्म जगत में ‘स्टार किड्स’ का चलन कोई नयी बात नहीं है और बाहर से आने वाले लोगों को इस बारे में किायत करने की बजाय मेहनत करके अपनी जगह बनानी चाहिए।
दो बार के नेशनल अवार्ड विजेता अभिनेता ने हाल में यहां आयोजित एक अवार्ड कार्यक्रम से इतर ‘भाषा’ को बताया, ‘‘इंडस्ट्री में ‘स्टार किड्स’ को लेकर मुझे कोई किायत नहीं है। एक दुकानदार गद्दी अपने बेटे को ही देता है। हम जब फिल्म जगत को इंडस्ट्री बोलते हैं तो इसके सेठ भी अपने बेटे को ही तो गद्दी पर बिठाएंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम जैसे बाहर से आने वाले लोग शिकायत नहीं कर सकते। इसे असलियत मानकर संघर्ष करते हुए अपना मुकाम बनाने की कोशिश करते हैं। यह इंडस्ट्री की हकीकत है और आज से नहीं बल्कि वर्षों से ऐसा ही है।’’
रंगमंच को हर व्यक्ति के व्यक्तित्व विकास में सहायक करार देते हुए 47 वर्षीय अभिनेता ने कहा कि थियेटर जीवन के हर क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए है। यह केवल अभिनेताओं, निर्देकों और टेक्नीयिन के लिए ही जरूरी नहीं है। ‘अलीगढ़’ स्टार ने इस बात पर बल दिया कि स्कूल के समय से ही बच्चों को थियेटर से जोड़ा जाना चाहिए।
वाजपेयी ने अभिनेत्री कंगना रनौत के हालिया बयान को लेकर ुरू हुए विवाद पर स्पष्ट राय रखते हुए कहा, ‘‘कंगना विवाद से जुड़ी सभी चीजों को मैंने पढ़ा। मुझे लगता है कि वह बहुत बहादुर हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सब में अकेले लडऩे की क्षमता और हिम्मत नहीं हो सकती। कंगना अकेले लडऩे वालों में से है और जीत हासिल कर रही है। मैं उनकी सराहना करता हूं। मैं उनके साथ हूं।’’
गौरतलब है कि कंगना ने टॉक शो ‘कॉफी विद करण’ में प्रस्तोता और प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक करण जौहर पर फिल्म उद्योग में भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था। इसके बाद करण ने लंदन में एक कार्यक्रम में कंगना पर निशाना साधते हुए कहा था कि वह हमेशा खुद को एक पीडि़ता के रूप में पेश करती हैं और अगर उन्हें इतनी ही दिक्कत है तो वह फिल्म जगत छोड़ क्यों नहीं देतीं।
अपने 22 साल के करियर के बारे में पूछे जाने पर ‘सत्या’ स्टार ने कहा, ‘‘मैं तो अभी ढंग से शुरू भी नहीं हुआ हूं। मेरी शुरुआत अभी बाकी है। शयद जल्दी शुरू हो जाउंगा। मेरी इनिंग अभी शुरू ही नहीं हुई है। मेरा मानना है कि इस इंडस्ट्री ने अब तक मेरा 25 प्रतित ही इस्तेमाल किया है। 75 प्रतित अभी बचा हुआ है।’’
हॉलीवुड में काम करने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर वाजपेयी ने कहा, ‘‘देखिए मेरे लिए कोई भी इंडस्ट्री एक समान है। मैंने तेलुगू फिल्में की है, तमिल फिल्में भी की है। दोनों भाषाएं मैं जानता नहीं हूं। अंग्रेजी मैं जानता हूं। जब हॉलीवुड में काम करूंगा और ब्रिटिश फिल्मों में काम करूंगा तो मेरे लिए काम करने में सहूलियत होगी। जब आएगा काम तो करेंगे ही, अभी इसके बारे में क्या सोचना।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सिनेमा करने का सपना संजोकर थियेटर करने वालों को कम-से-कम पांच साल थियेटर करना चाहिए। मैंने तो दस साल किया क्योंकि मुझे रंगमंच से प्यार था।’’
थियेटर कर रहे युवा पीढ़ी के अभिनेताओं को वाजपेयी ने सुझाव दिया कि अभिनेता बनने के इच्छुक लोग पहले सोच लें कि जिन्दगी में भले ही कभी मर्सिडीज ना मिले, बड़ा र ना मिले, लेकिन थिएटर से प्यार बना रहे। आप हर हाल में थियेटर और अभिनय करते रहेंगे। ऐसे में ही इस क्षेत्र में आना चाहिए। ये सोच के कभी नहीं आना चाहिए कि अभिनय करने से ये सब चीजें मिलती हैं।
मनोज वाजपेयी ने भोजपुरी फिल्मों में काम करने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर कहा कि अच्छी स्क्रिप्ट मिले तो वह निश्चित तौर पर भोजपुरी फिल्म भी करेंगे गौरतलब है कि वाजपेयी बिहार के भोजपुरी भाषी पश्चिमी चंपार जिले से हैं। भाषा