हमारे भारत में कई युवतियां और महिलाएं हैं जो शौक से मेहँदी लगवाती हैं। इस शौक के अलावा हमारी संस्कृति में भी मेहँदी का बहुत ज्यादा महत्व है। हमारे यहाँ मेहँदी को सुहाग का प्रतीक माना जाता है। कई तीज त्यौहारों पर मेहँदी लगाने की परम्परा है।
जिस मेहंदी को आप बड़े शौक से अपने हाथों में लगवाती हैं, वो खूबसूरती बढ़ाने की जगह आपके हाथों की रंगत उड़ा सकती है। जी हां, मॉर्केट में इनदिनों नकली मेहंदी की धूम है। देशभर में ऐसे महंगी सरेआम बिक रही हैयदि कोई पांच मिनट में काली मेहंदी लगाने का दावा करे तो समझ लें कि मेहंदी में मिलावट है।
ऐसी मेहंदी से आपका हाथ भी जल सकता है। किसी भी तरह से रसायन का सही यूज नहीं किया गया है तो यह अपना असर दिखाता है। मेहंदी को लेकर एलर्जिक केस सामने आ रहे हैं। यह हर्बल की बजाय रासायनिक मेहंदी का ही कारण है। इन्फेक्शन होने पर मरीज को कई सीवियर स्किन डिसीज हो सकती है।
लेकिन मेहँदी के बारे में एक और महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि मेहँदी लगाना हमेशा ही सुखद एहसास नहीं होता है। कभी-कभी इसके दुष्परिणाम भी भुगतने पड़ते हैं। मेहँदी की वजह से कई तरह के इन्फेक्शन्स भी सामने आये हैं। आइये जानते हैं इन्ही इन्फेक्शन्स के बारे में कुछ बातें।
मेहँदी लगाना तक तो ठीक है पर मेहँदी रचना भी उतना ही महत्वपूर्ण माना जाता है। सब चाहते हैं कि उनकी मेहँदी बिलकुल गहरी रचे। बस यहीं हमसे गलती हो जाती हैं।
मेंहदी में घातक रंग
सोडियम पिक्रामेट- यह घातक रसायन ज्वलनशील पदार्थों में मिलाया जाता है। यह शरीर के प्रोटीन में मिलकर रंग को गाढ़ा बनाता है। मेंहदी में सबसे ज्यादा इसका इस्तेमाल किया जाता है। यह मेंहदी के तेल के नाम से भी जाना जाता है।
हमारे यहाँ माना जाता है कि जितनी गहरी मेहँदी रचती है उतना ज्यादा ही पति प्यार करता है। बस इसी बात को ध्यान में रखते हुए मेहंदी को ज्यादा रचने वाली बनाने के चक्कर में उसमे बेधड़क रासायनिक पदार्थों का उपयोग किया जाता है। मेहँदी से इन्फेक्शन होने के पीछे मुख्य कारण इन रासायनिक पदार्थों का उपयोग करना ही है।
ऑक्सेलिक एसिड-
यह ब्लीचिंग के लिए प्रयोग होता है।
पीपीडी-
बालों को काला करने के लिए हेयर डाई में इस्तेमाल किया जाता है. काली मेंहदी को तैयार करने में इसका प्रयोग होता है।
असली मेंहदी की यह है पहचान
अगर कोई आपसे कह रह है कि वह पांच मिनट में आपके हाथों में मेंहदी का रंग रचा सकता है तो समझ जाएं उसमें उतना ज्यादा ही कैमिकल मिलाया गया है। असली मेंहदी को हाथों में लगाने से पहले दो से तीन घंटे पहले भिगो के रखना पड़ता है।इसके बाद हाथों में लगने के बाद भी काफी देर तक हाथों में लगा रहता है और फिर उसका रंग आता है।असली मेंहदी का रंग पांच मिनट में आना संभव नहीं. असली मेंहदी का रंग काला नहीं होता है।केवल नारंगी और गाढ़ा लाल होता है।