Diwali Special : दीपावली के साथ न्याय नही किया फिल्मकारों ने

Samachar Jagat | Saturday, 29 Oct 2016 02:55:34 PM
Diwali Special Filmmakers have not done justice by Diwali

मुंबई। बॉलवुड में फिल्मकारों ने कई पर्व, त्योहारों को अपनी फिल्मों में कहानी का हिस्सा बनाकर पेश किया है लेकिन रोशनी के महापर्व 'दीपावली' को रूपहले परर्दे पर वह नहीं के बराबर पेश करतें है और कभी करते भी हैं तो वह कहानी का महत्वपूर्ण हिस्सा नहीं होता है।

हिंदी फिल्मों के इतिहास पर यदि एक नजर डालें तो पायेगें कि फिल्मों में दीपावली का चित्रण नहीं के बराबर किया गया हैं। वैसे कुछ फिल्में ऐसी है जिनमें खुशियों के प्रतीक के रूप में इस पर्व को दिखाया गया है लेकिन उन फिल्मों में भी बोनस., छुट्टी,  रोशनी तथा आतिशबाजी तक ही सीमित रह जाता है,  जो कहानी का अहम हिस्सा नहीं होती।

देखा जाए तो कम ही फिल्मों में दीपावली को विशेष स्थान दिया गया है जो कहानी का अहम हिस्सा रही हैं। वर्ष 1973 में प्रदर्शित प्रकाश मेहरा की सुपरहिट फिल्म जंजीर का नाम भी ऐसी ही फिल्मों में आता है, जिसमें सदी के महानायक अभिताभ बच्चन ने मुख्य भूमिका निभायी थी।

फिल्म की शुरूआत उस समय होती है, जब दीपावली पर एक घर के आसपास का सारा माहौल रोशनी से जगमग रहता है। ऐसे खुशनुमा माहौल में एक अपराधी चालनुमा मकान के एक कमरें में प्रवेश करता है और आतिशबाजी की गूंज के बीच उसके रिवाल्वर से गोली निकलती है और देखते ही देखते एक मासूम बच्चे की दुनिया उजड़ जाती है। यह सिन,  सिने प्रेमी शायद ही कभी भूल पायें।

हाल में प्रदर्शित फिल्मों पर यदि नजर डालें तो इनमें करण जौहर की फिल्म 'कभी खुशी कभी गम' में दीपावली के सीन को बहुत ही खूबसूरती के साथ पेश किया गया है, जो कहानी का अहम हिस्सा लगते है।

इन सबके साथ ही कुछ पिल्मों में दीपावली के सीन  का चित्रण बेहद मार्मिक तरीके से किया गया है। इसी क्रम में चेतन आंनद की वर्ष 1965 में प्रदर्शित फिल्म 'हकीकत' खास तौर पर उल्लेखनीय है। वर्ष 1962 में भारत और चीन के बीच हुये युद्ध पर आधारित इस फिल्म के एक सीन  में दीपावली के ही दिन फिल्म के एक अभिनेता जयंत देश के जवानों को जो संदेश भेजते है वह अत्यंत मार्मिक है।

कई बार उल्लास के बाद वेदना के क्षणों का चित्रण करने के लिये भी दीपावली के सीन का सहारा लिया गया है। निर्माता निर्देशक शक्ति सामंत की फिल्म 'अनुराग' में इस तरह के सीन को बेहद ही सुन्दरता और संजीदे तरीके से पेश किया है ।

फिल्म के एक सीन्स में दीपावली की ही रात होती है जब पूरा घर खुशियों से झूम रहा होता है। ऐसे में अचानक परिवार के मुखिया को यह पता चलता है कि उसके पोते को असाध्य बीमारी है। इसके बाद पूरा घर अचानक मायूस हो जाता है और उनकी सारी खुशियां पल भर में दुख में बदल जाती है। फिल्म का यह सीन भी सिने दर्शक शायद ही कभी भूल पाये।

दीपावली का पर्व आशाओं, आकांक्षाओं से भरे उत्सव के रूप में मनाये जाने की परंपरा है। फिल्म 'मुझे कुछ कहना है' में इस पर्व को कुछ ऐसे ही तरीके से पेश किया गया है। फिल्म के एक सीन  में फिल्म का नायक तुषार कपूर अपने परिवार की नजर में एकदम निकम्मा है और उससे किसी को कोई उम्मीद नही है। दीपावली की रात को वह एकदम हताश होकर सड़कों पर भटक रहा होता है तभी अचानक फिल्म की नायिका करीना कपूर को देखकर उसके जीवन में नयी उमंग और आशा का संचार होता है।

देखा जाये तो हाल के वर्षो में कुछ अन्य फिल्मों में भी दीपावली से जुड़े सीन्स का सहारा लिया गया है। इनमें 'हम आपके है कौन' एक रिश्ता 'द बांड आफ लव' ख्वाहिश आदि शामिल है लेकिन इनमें दीपावली के सीन्स दिखाये तो गये है लेकिन वह कहीं से भी कहानी का हिस्सा नही लगते है। इनके बिना भी फिल्म का निर्माण हो सकता था। काफी हद तक महेश मांजरेकर की संजय दत्त अभिनीत फिल्म ' वास्तव' में दीपावली के सीन को कहानी का हिस्सा बनाकर पेश किया गया है।

इन सबके साथ ही दीपावली से जुड़े गीत को फिल्मकार ने कभी कभी पेश किया है 'दीपावली' से जुड़े गीत है उनमें आई दीवाली की रौशनी 'रतन , आयी है,  अबकी साल दीवाली ' , हकीकत ..दीवाली की रात पिया का घर ..अमर कहानी 'लाखों तारे आसमान में'  'हरियाली और रास्ता' आयी है दीवाली ..आमदनी अठन्नी खर्चा रूपया , 'हैप्पी दीवाली'  'होम डिलीवरी ''।



 

यहां क्लिक करें : हर पल अपडेट रहने के लिए डाउनलोड करें, समाचार जगत मोबाइल एप। हिन्दी चटपटी एवं रोचक खबरों से जुड़े और अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें!

loading...
रिलेटेड न्यूज़
ताज़ा खबर

Copyright @ 2024 Samachar Jagat, Jaipur. All Right Reserved.