जयपुर। आज की महिलाओं का काम केवल घर-गृहस्थी संभालने तक ही सीमित नहीं है, वे अपनी उपस्थिति हर क्षेत्र में दर्ज करा रही हैं। परिवार की जिम्मेदारी हो या ऑफिस, महिलाओं ने साबित कर दिया है कि वे जीवन के हर रोल को बखूबी निभा सकती हैं।
8 मार्च अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। ये दिन महिलाओं के लिए खास जरूर है लेकिन महज एक दिन महिलाओं को समर्पित किया जाना उनकी हर दिन की चुनौतियों के सामने बोना है। बात महिला दिवस की है तो हम आपको ले चलते हैं प्रदेश के सबसे बड़े एसएमएस अस्पताल और मेड़िकल कॉलेज में जहां मरीजों और डॉक्टर्स की भीड़ से अलग इन 10 प्रोफेसर्स की जिम्मेदारी और काम करने का जज्बा समर्पण से भरा है।
38 विभागों में 10 बड़े विभागों की बागड़ोर महिला प्रोफेसर्स के हाथ
यूं तो कॉलेज में कुल 38 विभाग हैं और हर विभाग में सीनीयर प्रोफेसर्स को जिम्मा सौंपा जाता है। लेकिन खास बात यह है कि एसएमएस मेड़िकल कॉलेज के 10 सबसे बड़े विभागों की बागड़ोर महिला प्रोफेसर्स ने संभाल रखी है। ये महिला प्रोफेसर्स मेडिकल की पढ़ाई कर रहे (एमबीबीएस) स्टूडेंट्स को लेक्चर भी देती हैं...अधिकांश विभाग की अध्यक्ष ओपीडी (आउट पेशेंट डोर) में मरीज भी देखती हैं और ऑपरेशन थियेटर के केस भी हेंडल करती हैं और फिर इसके बाद आता है पूरे विभाग का जिम्मा।
प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल और मेड़िकल कॉलेज होने के चलते हर विभाग में लगभग 150 से 200 डॉक्टर्स का स्टाफ काम करता है, इनमें भी अधिकतर महिलाएं है। इन डॉक्टर्स का ड्यूटी चार्ट बनाना, उनसे काम का फीडबैक लेना, शिकायतों का निपटारा करना, सरकारी योजनाओं को अमल में लाना जैसे कई महत्वपूर्ण काम इन महिला प्रोफेसर्स के जिम्मे हैं। संजिदा उदाहरण तो इस बात का है कि ये सभी काम को जिम्मेदारी मानते हुए समर्पण भाव से करना पसंद करती हैं।
डॉ. मोनिका जैन विभागाध्यक्ष भेषज विज्ञान और समन्वयक चिकित्सा शिक्षा इकाई कहती हैं महिलाएं किसी भी मायने में पुरूषों से कम नहीं है। आज महिलाएं एक कुशल गृहणी से लेकर एक हर क्षेत्र की भूमिका बेहतर तरीके से निभा रही हैं। एसएमएस मेडिकल कॉलेज की सभी महिलाएं जो अपने विभागों की अध्यक्ष हैं, जैसे घर में एक माँ की भूमिका निभाती हैं उसी ममत्व और समर्पण भाव से वे अपने विभाग की देखरेख भी करती हैं।
डॉ. सुनीता के जैन (विभागाध्यक्ष ब्लड बैंक इकाई) का कहना है कि नई पीढ़ी की महिलाएं स्वयं को बेहतर साबित कर रही हैं, वो चाहे घर हो या कर्म क्षेत्र। हम सब पुरुषों के बराबर काम कर रहे हैं। डॉ. जैन गरीब लोगों को हर संभव मदद पहुंचाने का काम कर रही हैं।
एनस्थिसिया विभाग की अध्यक्ष डॉ. रीमा मीना का कहना है कि उनके विभाग में 150 से अधिक डॉक्टर्स हैं और यह अस्पताल का बड़ा विभाग है, घर के सारे कार्यों को जितनी कुशलता से करती हैं उतनी ही दक्षता के साथ काम की जिम्मेदारियां भी निभाती हैं।
डॉ. अमीता कश्यप, विभागाध्यक्ष परिवेंटिव एंड सोशल मेडिसीन अपने विभाग की जिम्मेदारी के साथ-साथ ग्रामीण स्तर पर सरकारी योजनाओं को बखूबी अमल में ला रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जा वे 5 से 12 साल की किशोरियों को हैल्थ के बारे में जागरूक कर रही हैं।
वहीं डॉ. चंद्रकला (शरीर रचना विभाग) अपने विभाग के अलावा देहदान का संकल्प में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही हैं। डॉ. अनीता सिंघल एसएमएएस मेडिकल कॉलेज में बने महिला डॉक्टर्स के हॉस्टल की वार्डन हैं, वे खुद को छात्राओं के मन के करीब पाती हैं और उनकी हर परेशानियों को हल करती हैं।
डॉ. कुसुम माथुर (पेथोलॉजी), डॉ. उषा जयपाल (विभागाध्यक्ष, रेडियो डायग्नोसिस), डॉ. संध्या मिश्रा (बॉयोकेमेस्ट्री), डॉ. नित्या व्यास (विभागाध्यक्ष, माइक्रोबायोलॉजी) डॉ. ज्योत्सना शुक्ला (विभागाध्यक्ष, फिजीयोलॉजी) ये सभी अपने-अपने विभाग को लीड कर रही हैं और परस्पर सामंजस्य के साथ काम कर रही हैं।
इन विभागों में है महिला विभागाध्यक्ष
डॉ. रीना मीना, एनस्थिसिया (संज्ञाहरण विभाग)
डॉ. अमिता कश्यप, परिवेंटिव एंड सोशल मेडिसीन (निवारक और सामाजिक चिकित्सा विभाग)
डॉ. चंद्रकला, एनाटॉमी (शरीर रचना विभाग)
डॉ. सुनीता के जैन, ब्लड बैंक (रक्त बैंक)
डॉ. कुसुम माथुर पेथोलॉजी, (रोग निदान विभाग)
डॉ. उषा जयपाल, रेडियो डायग्नोसिस (रेडियो निदान विभाग)
डॉ. मोनिका जैन, फार्मेकोलॉजी (भेषज विज्ञान)
डॉ. संध्या मिश्रा, बॉयोकेमेस्ट्री (जैव रसायन विभाग)
डॉ. नित्या व्यास, माइक्रोबायोलॉजी (सूक्ष्मजीवविज्ञान विभाग)
डॉ. ज्योत्सना शुक्ला, फिजीयोलॉजी (शरीर विज्ञान)
डॉ. अनीता सिंघल, हॉस्टल वार्डन (मेडिकल कॉलेज)
डॉ. सुनीता अग्रवाल, ईएनटी (नाग,कान एवं गला रोग विभाग)
ब्यूरो रिपोर्टः विक्रम सिंह