विक्रम सिंह 'विशेष'। जिंदगी के 24 बसंत भी जिसको नसीब न हुए...जिसके विचारों को सुन रगों में देशभक्ति का खून दौड़ने लगे, ऐसा कोई वीर बलिदानी भगत सिंह के अलावा और कौन हो सकता है। सरदार भगत सिंह एक ऐसे जांबाज वीर योद्धा थे जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के आगे घुटने टेकने की बजाय महज 24 साल की उम्र में ही हंसते-हंसते फांसी का फंदा चूम लिया था।
योद्धा होने के साथ-साथ भगत सिंह एक ऐसे क्रांतिकारी विचारक थे जिनको सुनकर आज भी हर देशवासी के दिल में देशभक्ति की भावना प्रबल हो उठती है। जेल में रहते हुए कार्ल लीबनेख़ की 'मिलिट्रिज़म', लेनिन की 'लेफ़्ट विंग कम्युनिज़म' और अप्टॉन सिनक्लेयर के 'द स्पाई' उपन्यास को पढ़ने वाले भगत सिंह के जीवन के बहुत से ऐसे अनछुए पहलू हैं जिन्हें बहुत कम लोग जानते होंगे। उनके क्रांतिकारी विचारों को बहुत से लेखकों ने अपनी किताबों में अपने-अपने तरीके से कलमबद्ध किया है...उनके ऐसे ही कुछ प्रेरणादायी विचार हैं, जो आज के समय में भी प्रासंगिक हैं.....
“किसी भी इंसान को मारना आसान है, परन्तु उसके विचारों को नहीं। महान साम्राज्य टूट जाते हैं, तबाह हो जाते हैं, जबकि उनके विचार बच जाते हैं।”~ भगत सिंह
“जिंदगी तो सिर्फ अपने कंधों पर जी जाती है, दूसरों के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं।“ ~ भगत सिंह
“जिंदा रहने की ख्वाहिश कुदरती तौर पर मुझमें भी होनी चाहिए। मैं इसे छिपाना नहीं चाहता, लेकिन मेरा जिंदा रहना एक शर्त पर है। मैं कैद होकर या पाबंद होकर जिंदा रहना नहीं चाहता।” ~ भगत सिंह
“दिल से निकलेगी न मरकर भी वतन की उलफत, मेरी मिट्टी से भी खुशबू-ए-वतन आएगी।” ~ भगत सिंह
“लिख रहा हूँ मैं अंजाम जिसका कल आगाज़ आएगा…मेरे लहू का हर एक कतरा इंकलाब लाएगा।“ ~ भगत सिंह
“बम और पिस्तौल क्रांति नहीं लाते...क्रान्ति की तलवार विचारों के धार बढ़ाने वाले पत्थर पर रगड़ी जाती है।“ ~ भगत सिंह
“क्रांति मानव जाती का एक अपरिहार्य अधिकार है। स्वतंत्रता सभी का एक कभी न ख़त्म होने वाला जन्म-सिद्ध अधिकार है। श्रम समाज का वास्तविक निर्वाहक है।” ~ भगत सिंह
“प्रेमी, पागल और कवि एक ही चीज से बने होते हैं।“ ~ भगत सिंह
“राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है। मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में भी आजाद है।“ ~ भगत सिंह
“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।” ~ भगत सिंह
“जो व्यक्ति विकास के लिए खड़ा है उसे हर एक रूढ़िवादी चीज की आलोचना करनी होगी, उसमें अविश्वास करना होगा तथा उसे चुनौती देनी होगी।“ ~ भगत सिंह
“मैं इस बात पर जोर देता हूँ कि मैं महत्त्वाकांक्षा, आशा और जीवन के प्रति आकर्षण से भरा हुआ हूँ। पर मैं ज़रुरत पड़ने पर ये सब त्याग सकता हूँ, और वही सच्चा बलिदान है।”~ भगत सिंह
“…व्यक्तियों को कुचल कर, वे विचारों को नहीं मार सकते।” ~ भगत सिंह
“मैं एक मानव हूँ और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है उससे मुझे मतलब है।“ ~ भगत सिंह