Birthday special : श्रोताओं के दिलों पर राज करते हैं उदित नारायण

Samachar Jagat | Thursday, 01 Dec 2016 10:23:35 AM
Birthday special Udit Narayan playback singer

मुंबई। आकाशवाणी नेपाल से अपने करियर की शुरुआत करके शोहरत की बुंलदियों तक पहुंचने वाले बालीवुड के प्रसिद्ध पाश्र्वगायक उदित नारायण आज भी अपने गानों से श्रोताओं के दिलों पर राज करते हैं। उदित नारायण झा का जन्म नेपाल में एक दिसंबर 1955 को मध्यम वर्गीय ब्राह्मण परिवार में हुआ। बचपन के दिनों से ही उनका रूझान संगीत की ओर था और वह पाश्र्वगायक बनना चाहते थे। इस दिशा में शुरुआत करते हुए उन्होंने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा पंडित दिनकर कैकिनी से हासिल की।

उदित नारायण ने गायक के रूप में अपने करियर की शुरुआत नेपाल में आकाशवाणी से की जहां वह लोक संगीत का कार्यक्रम पेश किया करते थे। लगभग आठ वर्ष तक नेपाल के आकाशवाणी मंच से जुड़े रहने के बाद वह 1978 में मुंबई चले गये और भारतीय विद्या मंदिर में स्कॉलरशिप हासिल कर शास्त्रीय संगीत की शिक्षा लेने लगे।

वर्ष 1980 में उदित नारायण की मुलाकात मशहूर संगीतकार राजेश रौशन से हुयी जिन्होंने उनकी प्रतिभा को पहचान करके अपनी फिल्म 'उन्नीस बीस' में पाश्र्वगायक के रूप में उन्हें काम करने का मौका दिया लेकिन दुर्भाग्य से यह फिल्म टिकट खिडक़ी पर बुरी तरह नकार दी गयी। दिलचस्प बात है कि इस फिल्म में उन्हें अपने आदर्श मोहम्मद रफी के साथ पाश्र्वगायन का मौका मिला।

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लगभग दो वर्ष तक मुंबई में रहने के बाद वह पाश्र्वगायक बनने के लिये संघर्ष करने लगे। आश्वासन तो सभी देते लेकिन उन्हें काम करने का अवसर कोई नही देता था। इस बीच उदित नारायण ने गहरा जख्म, बड़े दिल वाला, तन बदन अपना भी कोई होता और पत्तों की बाजी जैसी बी और सी ग्रेड वाली फिल्मों में पाश्र्वगायन काम किया लेकिन इन फिल्मों से उन्हें कोई खास फायदा नहीं पहुंचा।

लगभग दस वर्ष तक मायानगरी मुंबई में संघर्ष करने के बाद 1988 में नासिर हुसैन की आमिर खान अभिनीत फिल्म  'कयामत से कयामत तक' में अपने गीत 'पापा कहते है बड़ा नाम करेगा' की सफलता के बाद उदित नारायण पाश्र्वगायक के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल हो गये।

कयामत से कयामत तक की सफलता के बाद उदित नारायण को कई अच्छी फिल्मों के प्रस्ताव मिलने शुरू हो गये जिनमें राम अवतार, त्रिदेव ,महासंग्राम ,दिल, सौगंध, फूल और कांटे जैसी बड़े बजट की फिल्में शामिल थी। इन फिल्मों की सफलता के बाद उदित नारायण ने सफलता की नयी बुलंदियों को छुआ और एक से बढकऱ एक गीत गाकर श्रोताओं को मंत्रमुंग्ध कर दिया।

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नारायण अब पांच बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किये जा चुके हैं। हिन्दी सिनेमा जगत में उदित नारायण के महत्वपूर्ण योगदान को देखते हुये उन्हें वर्ष 2009 में पदमश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 2002 में फिल्म लगान के गीत 'सुन मितवा' और 2003 में फिल्म 'ज़िन्दगी खूबसूरत है' के गीत 'छोटे छोटे सपने ' के लिये वह सर्वश्रेष्ठ पाश्र्वगायक के राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किये गये।

आमिर खान, शाहरूख खान जैसे कलाकारों की आवाज कहे जाने वाले उदित नारायण ने तीन दशक से भी ज्यादा लंबे कैरियर में लगभग 15000 फिल्मी और गैर फिल्मी गाने गाये हैं। उन्होंने हिन्दी के अलावा उर्दू, तमिल, बंगला, गुजराती, मराठी, तेलुगू, मलयालम, कन्नड़ उडिय़ा और नेपाली फिल्मों के गीतों के लिये भी अपना स्वर दिया है।

उदित नारायण ने कई गैर फिल्मी गीतों के गायन से भी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया है। उनके गाये प्राइवेट अलबम में कुछ है भजन संगम, भजन वाटिका, आई लव यू, दिल दीवाना, यह दोस्ती, लव इज लाइफ, झुमका दे झुमका, मां तारिणी, धुली गंगा प्रमुख है।

बहुमुखी प्रतिभा के धनी उदित नारायण ने नेपाली फिल्मों में अभिनय भी किया है। इनमें कुसुमे रूमाल और पिराती प्रमुख है। इसके अलावा उन्होंने भोजपुरी सुपरहिट हिट फिल्म  'कब होइ गवनवां हमार' का निर्माण भी किया है। उदित नारायण भारत के अलावा अमेरिका, कनाडा, वेस्टइंडीज और दक्षिण अफ्रीका में स्टेज कार्यक्रम पेश भी कर चुके हैं। उदित नारायण आज भी अपनी मधुर आवाज से संगीत जगत को सुशोभित कर रहे हैं।

 

 

एजेंसी 

 

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