Birthday Special : जानें-अटल से जुड़ी कुछ रोचक बातें

Samachar Jagat | Sunday, 25 Dec 2016 10:09:24 AM
Birthday Special Learn some interesting things related to Atal Bihari Vajpayee

अनिल प्रजापत

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी 25 दिसंबर 2016 यानी आज 92 साल के हो गए हैं। हर कोई राजनीति पार्टियां अटल को उनके जन्मदिन की शुभकामना दे रहा है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अटल जी को शुभकामना दी। आपको बात दें कि अपने समय में अटल देश के बेहद लोकप्रिय नेताओं में से एक रहे है। अटल बिहारी वाजपेयी अपनी राजनीतिक समझ के साथ-साथ अपने भाषण देने के अंदाज और कविता के कारण भी जाने जाते है।

 आइए जानते है वाजपेयी के जीवन से जुड़ी अनकही बातें

इंदिरा को दिया था ऐसा जवाब: अटल बिहारी वाजपेयी अपनी हाजिर जवाबी से हमेशा सुर्खियों में रहते थे। एक बार जब संसद में इंदिरा गांधी ने चर्चा के दौरान वाजपेयी के बारे में कहा कि वो हिटलर की तरह भाषण देते हैं और हाथ लहरा-लहरा कर अपनी बात रखते हैं। इसका जवाब देते हुए बाद में अटल ने कहा कि इंदिरा जी, हाथ हिलाकर तो सभी भाषण देते हैं, क्या कभी आपने किसी को पैर हिलाकर भाषण देते हुए भी सुना है? खुद की जान की कभी परवाह नहीं: सितंबर 1992 में जब जम्मू के पास अखनूर में चिनाब नदी में बाढ़ आई थी तब वहां का नदी का पुल बह गया था। अटल तब इस क्षेत्र का दौरा करने आए थे। इस दौरान पार्टी के और नेता भी साथ थे। नदी पार जाने के लिए सेना की नाव आई, लेकिन जब अटल नाव में बैठे तो सेना के लोगों ने कहा नाव में कुल 4 लोग बैठ सकते है, इतना सुनते ही अटल नाव से उतर गए और कहा कि पहले इनको पार लगाओ, फिर मुझे लेकर जाना।

बाप जी

अटल बिहारी वाजपेयी को उनके करीबी दोस्त और रिश्तेदार बाप जी कहकर बुलाते थे। वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राज्यसभा में एक भाषण के दौरान उन्हें भारतीय राजनीति का भीष्म पितामाह करार दिया था।

राष्ट्रपति ने घर जाकर दिया था भारत रत्न

भारत के राष्ट्रपति कार्यालय ने उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न देने की घोषणा की। खराब सेहत के चलते राष्ट्रपति ने खुद 27 मार्च 2015 को उनके निवास पर जाकर उन्हें यह सम्मान सौंपा।

तीन बार बने देश के प्रधानमंत्री

1996 से लेकर 2004 तक वाजपेयी तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे। 1995 में भाजपा एक मजबूत पार्टी बनकर उभरी। मई 1996 के आम चुनावों में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। देश के तत्कालीन राष्ट्रपति श्ंाकर दयाल शर्मा ने वाजपेयी को सरकार बनाने का न्योता दिया। वाजपेयी को देश के दसवें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई, लेकिन बहुमत नहीं जुटा पाने के चलते उन्होंने 13 दिनों के बाद इस्तीफा दे दिया। 1996 से लेकर 1998 तक देश में युनाइटेड फ्रंट की सरकार रही और इनके गिरने के बाद लोकसभा को भंग कर दिया गया और फिर से आम चुनाव करवाए गए। 1998 के चुनावों में भाजपा फिर से सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी।

हालांकि, इस बार कई दल भाजपा के साथ आए और उन्होंने मिलकर नेशनल डेमोके्रटिक फ्रंट बनाया और वाजपेयी को फिर से देश के प्रधानमंंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई। एनडीए संसद में बहुमत साबित करने में सफल रहा। हालांकि, यह सरकार भी 13 महीने ही चल पाई जब 1999 के मध्य सरकार को समर्थन दे रही जे जयललिता के नेतृत्व वाली एआईएडीएमके ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया। 17 अप्रेल 1999 को हुआ विश्वास मत्र सरकार महज एक वोट से हार गई। राष्ट्रपति ने विपक्ष को सरकार बनाने का न्योता दिया, लेकिन आंकड़े नहीं जुटाने पाने के चलते लोकसभा को फिर से भंग कर दिया गया और चुनावों की घोषणा कर दी गई। तबतक वाजपेयी को प्रधानमंत्री बने रहने के लिए कहा गया। करगिल युद्ध के बाद 1999 के आम चुनावों के आए नतीजों में 543 सीटों में से राजग 303 सीटें जीतने में कामयाब रहा। 13 अक्टूबर 1999 को वाजपेयी ने तीसरी बाद देश की बागडोर संभाली।

25 दिसंबर 1924 में हुआ था अटल का जन्म

भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर में कृष्णा देवी और कृष्णा बिहारी वाजपेयी के घर में हुआ था। वह देश के 10वें प्रधानमंत्री थे। 1996 में वह पहले 13 दिनों के लिए प्रधानमंत्री रहे और फिर 1998 से 2004 तक इस पद पर रहे। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता वाजपेयी पहले गैर कांग्रेसी नेता थे जिन्होंनें पांच साल प्रधानमंत्री कार्यकाल पूरा किया। चार दशक से ज्यादा सांसद रहे वाजपेयी नौ बार लोकसभा के लिए चुने गए, जबकि दोर बार ऊपरी सदन राज्यसभा के लिए चुने गए। खराब सेहत के चलते राजनीति से संन्यास लेने वाले वाजपेयी 2009 तक लखनऊ से लोकसभा सांसद रहे। भारतीय जनसंघ को खड़ा करने वालों में से एक थे अटल बिहारी वाजपेयी। मोरारजी देसाई के नेतृत्व में केंद्र में बनी जनता सरकार में वाजपेयी विदेश मंत्री थे। हालांकि, इस सरकार के गिरने के बाद वाजपेयी ने 1980 में जनसंघ को भारतीय जनता पार्टी के रूप में फिर से खड़ा किया।

 



 

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