मुम्बई। अपने चार दशक लंबे सिने कैरियर में कमल हासन ने कई सुपरहिट फिल्मों में अपने दमदार अभिनय से दर्शकों का दिल जीता लेकिन शुरुआती दौर में उन्हें वह दिन भी देखना पड़ा था जब एक फिल्म निर्देशक ने उनसे यहां तक कह दिया कि उनमें अभिनय क्षमता ही नहीं है।
कमल हासन का जन्म 07 नवंबर 1954 को तमिलनाडु के परमकुडी में हुआ था। उनके पिता चाहते थे कि उनके तीन बच्चों में कम से कम एक बच्चा अभिनेता बने। अपनी इसी चाहत को पूरा करने के लिये उन्होंने कमल को अभिनेता बनाने का निश्चय किया।
राजनीति के क्षेत्र में नहीं आना चाहती हैं नेहा शर्मा
सत्तर के दशक में कमल जब अभिनेता के रूप में अपनी पहचान बनाने के लिये संघर्ष कर रहे थे, उस दौरान उन्हें दो फिल्मों से बाहर कर दिया गया। फिल्म के निर्देशक श्रीधर ने तो उनसे यह तक कह दिया था कि उनमें अभिनेता बनने की काबिलियत नहीं है। बेहतर है कि वह अभिनेता बनने के बजाये पर्दे के पीछे रहकर अपना हुनर दिखाये।
कमल ने अपने सिने कैरियर की शुरूआत बतौर बाल कलाकार 1960 में प्रदर्शित फिल्म 'कलाथुर कनम्मा' से की। ए.भीम. भसह के निर्देशन में बनी इस फिल्म में उन्होंने अपने दमदार अभिनय से न सिर्फ दर्शको का दिल जीता बल्कि वह राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किये गये।
फिल्म 'कलाथुर कनम्मा' की सफलता के बाद कमल हासन ने कुछ फिल्मों में बतौर बाल कलाकार काम किया। इसके बाद उन्होंने लगभग नौ वर्षों तक फिल्म इंडस्ट्री से किनारा कर लिया। सत्तर के दशक में अपने पिता के जोर देने पर उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और अपना ध्यान फिल्म इंडस्ट्री की ओर लगा दिया। इस बीच अपने पिता के कहने पर उन्होंने नृत्य की भी शिक्षा हासिल की और कुछ फिल्मों में सहायक नृत्य निर्देशक के रूप में भी काम किया।
वर्ष 1973 में कमल हासन को दक्षिण भारत के जाने फिल्मकार .के.बालचंद्र .की फिल्म 'अरंगेतरम' में काम करने का अवसर मिला। वर्ष 1975 में प्रदर्शित फिल्म 'अपूर्वा रंगानगल' मुख्य अभिनेता के रूप में उनकी सिने कैरियर की पहली हिट साबित हुयी। वर्ष 1977 में प्रदर्शित फिल्म '16 भयानिथनिले' की व्यावसायिक सफलता के बाद कमल हासन स्टार कलाकार बन गये।
राजनीति के क्षेत्र में नहीं आना चाहती हैं नेहा शर्मा
वर्ष 1981 में कमल ने हिंदी फिल्मों की ओर भी अपना रूख कर लिया और निर्माता एल.भी.प्रसाद की फिल्म 'एक दूजे के लिये' में अभिनय किया। वर्ष 1982 में कमल हासन की एक और सुपरहिट तमिल फिल्म 'मुंदरम पिरई' रिलीज हुयी जिसके लिये वह अपने सिने कैरियर में पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किये गये ।बाद में वर्ष 1983 में 'सदमा' शीर्षक से यह फिल्म हिंदी में भी रिलीज हुई।
वर्ष 1985 में कमल हासन को रमेश सिप्पी की फिल्म 'सागर' में ऋषि कपूर और डिम्पल कपाड़यिा के साथ काम करने का अवसर मिला। आर.डी.बर्मन के सुपरहिट संगीत और अच्छी पटकथा के बावजूद यह फिल्म टिकट खिड़की पर असफल साबित हुयी लेकिन कमल हसन के अभिनय को दर्शकों ने खूब सराहा ।इस फिल्म में अपने दमदार अभिनय के कमल हासन सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किये गये।
वर्ष 1985 में कमल हासन की एक और सुपरहिट फिल्म 'गिरफ्तार' प्रदर्शित हुयी जिसमें उन्हें सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के साथ काम करने का अवसर मिला। वर्ष 1987 कमल के सिने कैरियर का अहम वर्ष साबित हुआ। इस वर्ष उन्होंने एक मूक फिल्म 'पुष्पक' में सशक्त अभिनय से दर्शकों को अचंभित कर दिया।
वर्ष 1987 में ही कमल हासन को मणिरत्नम की फिल्म 'नायकन' में भी काम करने का मौका मिला। फिल्म में वेलु नायकर के किरदार को कमल ने जीवंत कर अपना नाम भारत के महान अभिनेताओं में शुमार करा दिया। कमल हासन 'नायकन' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजे गये।
वर्ष 1990 में प्रदर्शित फिल्म 'अप्पू राजा' में उन्होंने अपने दमदार अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया । इस फिल्म में यूं तो उन्होंने तीन अलग-अलग भूमिकाएं कीं लेकिन ऊँची कद काठी के रहते हुये भी उन्होंने जिस तरह तीन फुट के बौने के रूप में अपने आप को ढ़ालकर कर दर्शकों अचंभित कर दिया।
वर्ष 1996 में कमल हासन के सिने कैरियर की एक और महत्वपूर्ण फिल्म 'इंडियन' प्रदर्शित हुयी । एस .शंकर के निर्देशन में बनी फिल्म में उन्होंने दोहरे किरदार को रूपहले पर्दे पर साकार किया। फिल्म में दमदार अभिनय के लिये कमल अपने कैरियर में तीसरी बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किये गये।
वर्ष 1998 में कमल ने हिंदी फिल्मों में निर्देशन के क्षेत्र में भी कदम रख दिया और'चाची 420Óमे अभिनय के साथ निर्देशन भी किया। उन्होंने चार दशक लंबे सिने कैरियर में अब तक लगभग 200 फिल्मों में अपने अभिनय का जौहर दिखा चुके है। हिंदी फिल्मों के अलावा उन्होंने तमिल, तेलुगु, मलयालम और कन्नड़ फिल्मों में भी काम किया।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी कमल ने न केवल अभिनय की प्रतिभा से बल्कि गायकी,निर्माण, निर्देशन, पटकथा लेखक ,गीतकार नृत्य निर्देशन,पटकथा और गीत लेखन तथा नृत्य निर्देशन से भी सिने प्रेमियों को अपना दीवाना बनाया है।
वर्ष 1981 में कमल ने निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रख दिया और 'राजा पारवई' का निर्माण किया। इसके बाद उन्होंने अपूर्व सहोदरगल (1989) थेवर मगन (1992) चाची 420 (1998) हे राम (2000) और मुंबई एक्सप्रेस (2005) का भी निर्माण किया। कमल ने कई फिल्मों की कहानी भी लिखी है। इनमें विरासत (1997) और बीबी नंबर वन (1999) प्रमुख है।
वर्ष 2008 में कामल हसन की फिल्म 'दशावतारम' प्रदर्शित हुयी जिसमें दर्शकों को उनके अभिनय का नया रंग देखने को मिला। इस फिल्म में उन्होंने दस अलग-अलग भूमिकाएं निभाकर दर्शकों को चमत्कृत किया। वर्ष 2012 में कमल के कैरियर की सर्वाधिक सुपरहिट फिल्म 'विश्वरूपम' प्रदर्शित हुयी। इस फिल्म ने टिकट खिड़की पर 250 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की है। कमल अब इस फिल्म का सीक्वल 'विश्वरूपम 2' बना रहे है।
एजेंसी
जाने! टीनएज लव की यह अनजान बातें....
कुछ ऐसे निपटे आॅफिस के दिनभर के बीजी शेड्यूल से
ब्रश करते समय आपके मसूढ़ों से भी आता है खून तो