भारत के प्रसिद्ध पत्रकार, लेखक और कवि माखन लाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल को 1889 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में बाबई नामक स्थान पर हुआ। उन्होंने अपने प्रभा और कर्मवीर जैसे प्रतिष्ठत पत्रों के माध्यम से भारत की आजादी में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे अपने पत्रों में ब्रिटिश शासन के खिलाफ निडर होकर लिखते थे और इसी कारण उन्हें कई बार ब्रिटिश साम्राज्य के कोप का शिकार बनना पड़ा।
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वे सच्चे देशप्रमी थे और 1921-22 के असहयोग आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेते हुए जेल भी गए। हिमतरंगिणी, हिमकिरीटिनी, युग चरण, समर्पण, मरण ज्वार, माता, वेणु लो गूँजे धरा आदि इनकी प्रसिद्ध काव्य कृतियां हैं। इनकी कविताओं में देश प्रेम के साथ-साथ प्रकृति और प्रेम का भी सुंदर वर्णन किया गया है।
भोपाल में पं. माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय उन्हीं के नाम पर स्थापित किया गया है। उनके काव्य संग्रह ’हिमतरंगिणी’ के लिए उन्हें 1955 में हिन्दी के ’साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। माखनलाल चतुर्वेदी के कविता संग्रह ‘हिमकिरिटिनी’ को सन् 1943 में ‘देव पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया जो उस समय का साहित्य का सबसे बड़ा पुरस्कार था।
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’पुष्प की अभिलाषा’ और ‘अमर राष्ट्र’ जैसी ओजस्वी रचनाओं के लिए इन्हें सागर विश्वविद्यालय ने सन् 1959 में डी.लिट्. की मानद उपाधि से विभूषित किया गया। सन् 1963 में उन्हें भारत सरकार द्वारा ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया लेकिन 10 सितंबर, 1967 को राष्ट्रभाषा हिन्दी पर आघात करने वाले राजभाषा संविधान संशोधन विधेयक के विरोध में उन्होंने यह अलंकरण लौटा दिया। 30 जनवरी 1968 को ऐसे महान पत्रकार और रचनाकार ने दुनिया को अलविदा कह दिया।
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