नई दिल्ली। देश ही नहीं पूरी दुनिया में क्रिसमस का त्योहार आज हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। शनिवार रात 12 बजते ही गिरिजाघरों में विशेष पूजा-अर्चना का दौर शुरू हो चुका है। प्रार्थना व मिस्सा पूजा के बाद मध्य रात्रि 12 बजे प्रभु का जन्म हुआ। दिल्ली समेत देशभर के सभी चर्च रोशनी से जगमगा रहे है। क्रिसमस ईसाईयों का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है। क्रिसमस के मौके पर देशभर के तमाम गिरजाघरों को सजाया गया है। इस मौके पर बड़ी तादात में लोग प्रभु यीशु को याद कर रहे है।
आपको बता दें कि क्रिसमस या बड़ा दिन ईसा मसीह या यीशु के जन्म की खुशी में मनाया जाने वाला पर्व है। यह 25 दिसम्बर को पड़ता है और इस दिन लगभग संपूर्ण विश्व में अवकाश रहता है। क्रिसमस से 12 दिन के उत्सव क्रिसमसटाइड की भी शुरुआत होती है। एन्नो डोमिनी काल प्रणाली के आधार पर यीशु का जन्म, 7 से 2 ई.पू. के बीच हुआ था। 25 दिसम्बर यीशु मसीह के जन्म की कोई ज्ञात वास्तविक जन्म तिथि नहीं है और लगता है कि इस तिथि को एक रोमन पर्व या मकर संक्रांति (शीत अयनांत) से संबंध स्थापित करने के आधार पर चुना गया है।
...तो इसलिए मनाया जाता है क्रिसमस
इसी दिन प्रभु ईसा मसीह या जीसस क्राइस्ट का जन्म हुआ था। क्रिसमस को बड़ा दिन भी कहा जाता है। ईशा मसीह को ही इशू भी कहा जाता है इशू एक महान व्यक्ति थे और उन्होने पूरे समाज को प्यार और इंसानियत की शिक्षा दी। वो दुनिया के लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश देते थे। इशू को भगवान का इकलौता प्यारा पुत्र माना जाता है।
इस पौराणिक कथा का भी काफी महत्व
बाइबिल के नए टेस्टामेंट में जीसस के जन्म से संबंधित एक कथा को व्यापक रूप से बताया गया है। जिसके अनुसार प्रभु ने मैरी नाम की एक कुंवारी कन्या के पास गैब्रियल नाम की एक देवदूत को भेजा। उस देवदूत ने मैरी को बताया कि वो प्रभु के पुत्र को जन्म देने वाली है और उसे उस बच्चे का नाम जीसस रखना है। देवदूत ने बताया कि जीसस बड़ा होकर राजा बनेगा तथा उसके राज्य की कोई सीमा नही होगी। इसके बाद गैब्रियल जोसफ के पास भी गई और उसे बताया कि उसे मैरी नाम की स्त्री से शादी करनी है, वो प्रभु के पुत्र को जन्म देने वाली है और उसे उस स्त्री की देखभाल करनी है और उसे उसका कभी परित्याग नही करना। जिस दिन जीसस का जन्म हुआ उस वक्त मैरी और जोसफ बेथलेहम की तरफ जा रहे थे और उन्होंने उस रात एक अस्तबल में शरण ली थी। जब जीसस का जन्म हुआ तब उन्हें एक नांद में लिटा दिया गया।
इस दिन आकाश में एक तारा बहुत ज्यादा चमक रहा था और इससे लोगो को इस बात का अनुभव हो गया था कि रोम के शासन से बचने के लिए उनके मसीहा ने जन्म ले लिया है। इसके पीछे भी एक कथा है जिसमें इस्राइली लोगों की आकाशवाणी के अनुसार जिस दिन आकाश में एक तारा बहुत ज्यादा चमकेगा, उस दिन इस्राइली लोगों के मसीहा का जन्म होगा और वो इस्राइली लोगो को उनके दु:ख से दूर करके उन्हें प्रभु के पास लेकर जाएगा।
सांता क्लॉस बच्चों को देते है गिफ्ट
इन्हें सेंट निकोलस, फादर क्रिसमस और सांता के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार ये बहुत ही प्रचलित व्यक्ति है। पश्चिमी संस्कृति के अनुसार सांता 24 दिसंबर की रात को बच्चों के घरो में आकर उपहार देते है। सांता क्लॉस मानवता का और प्रेम का संदेश देते है, साथ ही इनका कार्य खुशियां बांटना है, पश्चिमी लोगों की ये मान्यता भी है कि खुशियों को बांटना ही प्रभु की सच्ची सेवा है।
सांता क्लॉस के द्वारा बच्चों को उपहार बांटना इसी बात का संदेश देता है। जब भी सांता क्लॉस की बात होती है तो मन में एक ऐसे व्यक्ति की छवि बन जाती है जिसने लाल सफेद कपडे पहने हो, जिनकी बड़ी बड़ी सफेद दाढ़ी हो और जिसके पास उपहारों से भरा हुआ थैला हो, साथ ही एक ऐसा व्यक्ति जिसके चेहरे पर हंसी हो, जो दानशील हो और दयालु हो। माना जाता है कि सांता क्लॉस नार्थ पोल में रहते है और वे रेनडियर पर आते है।