जयपुर। राजस्थान सरकार ने आदिवासी क्षेत्र में 26 लघु वन उपज पर लगे प्रतिबन्ध को हटा दिया है।
प्रधान मुख्य वन सुरंक्षक ए के गोयल ने आज यहां बताया कि यह निर्णय आदिवासियों को बिचौलियों से मुक्त करने के लिया लिया गया है। उन्होंने बताया कि पूर्व में लघु वन उपज परिवहन करने पर प्रतिबन्धित होने के कारण आदिवासियों को अपनी लघु वन उपज बिचौलियों को बेचनी पड़ती थी। आदिवासी अब लघु वन उपज का परिवहन कर कहीं भी खुले बाजार में बेच सकेंगे।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने आदिवासियों की पीड़ा को समझते हुए राजस्थान वन उपज परिवहन नियम में संशोधन कर दिया है। आदिवासियों को अधिक लाभ देने के लिए जनजाति विकास विभाग ने उदयपुर में लघु वन उपज मण्डी भी स्थापित कर दी है।
गोयल ने बताया कि राज्य के आदिवासी क्षेत्र में लघु वन उपज यथा महुआ, रतनजोत, कुवाड़, कन्जी, आंवला, शहद एवं डोलमा को लोग सीधे ही विक्रय कर सकते हैं। इसी प्रकार आदिवासी चारोली फल, सांगरी, केर, हरड़ा फल, मोम, खुवाड़, बेहड़ा, लाख, सूखा बेर, धतूरी, अरीठा फल, निबोली, मॉल कांगणी बीज, कोया, बेंत, गूंदाफल व प्लास के फूल एवं बीज को भी कहीं भी बेचने पर छूट दे दी गयी है।