जयपुर । पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि भाजपा सरकार की रीति-नीति के कारण बाड़मेर में रिफाइनरी की स्थापना पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है।
यदि रिफाइनरी के कार्य को समयबद्धता से किया जाता, तो आज रिफाइनरी लगभग बनकर तैयार हो जाती और लागत में हो रही अतिरिक्त वृद्धि का भार भी नहीं पड़ता। साथ ही बाड़मेर रिफाइनरी की स्थापना से राजस्थान का कायाकल्प होता, हजारों लोगों को रोजगार मिलता और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी सुदृढ़ आधार मिलता।
गहलोत ने कहा कि राजस्थान में देश का 25 प्रतिशत क्रूड ऑयल का उत्पादन होता है लेकिन हाल ही में दिल्ली में आयोजित पेट्रोटेक समिट में राजस्थान को लेकर एक भी एमओयू नहीं हुआ, जो चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की हठधर्मिता के कारण बाड़मेर में स्थापित होने वाली रिफाइनरी अब दिवास्वप्न होकर रह गई है।
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा तैयार किए गए रिफाइनरी के मॉडल को राज्य पर अत्याधिक वित्तीय भार डालने वाला बताकर भाजपा सरकार इसकी स्थापना को तीन साल से अटकाए हुए है।
अब प्रदेश में रिफाइनरी स्थापित करने की लागत 8 हजार करोड़ रुपए ज्यादा आंकी जा रही है। गहलोत ने कहा है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार को रिफाइनरी स्थापना का श्रेय नहीं मिले, इसी वजह से भाजपा सरकार की ओर से 3 वर्षों से इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
उन्होंने कहा कि इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड द्वारा तैयार की गई डीएफआर के अनुसार रिफाइनरी की लागत 37 हजार करोड़ से बढक़र 45 हजार करोड़ रुपए आंकी गई है। इस प्रकार एचपीसीएल और राज्य सरकार के मध्य यदि सहमति होती भी है, तो 8 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ेगा।