पेंटिंग और संगीत से ज्यादा संवाद करता है साहित्य: थरूर

Samachar Jagat | Monday, 23 Jan 2017 06:10:43 PM
tharoor believes that literature can more communicate then painting and music

जयपुर। लेखक और नेता शशि थरूर का मानना है कि साहित्य के पास आपको देने के लिए कुछ ‘‘खास’’ है और वह कला के अन्य स्वरूपों जैसे पेंटिंग और संगीत के मुकाबले ज्यादा संवाद कर सकता है।

काल्पनिक और यथार्थवादी दोनों श्रेणियों में 15 किताबें लिखने वाले थरूर का कहना है कि निजी या सार्वजनिक, जीवन का ऐसा कोई हिस्सा नहीं है जो साहित्य से प्रभावित ना होता हो।

‘पीटीआई..भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में थरूर ने बताया, ‘‘अच्छा साहित्य मानवीय स्थितियों को कुछ इस तरह लिखने का प्रयास है जिसे दूसरों के साथ साझा किया जा सके और समझा जा सके। मेरा मानना है कि प्रत्येक नीति,प्रत्येक सार्वजनिक राजनीति मुद्दा साहित्य में दिखाए गए लोगों की छवि दिखाता है या पाठकों की जागरूकता से प्रभावित होता है।’’

जयपुर साहित्य महोत्सव में शामिल होने आए कांग्रेस सांसद को लगता है कि पेंटिंग एक किताब जितना संवाद नहीं कर सकता है।

उनका कहना है, ‘‘यह कल्पना करना ही मुश्किल है कि संगीत का एक हिस्सा, जुनूनी और विवादित साहित्य जितना संवाद कर सकता है। मुझे लगता है कि साहित्य के पास देने के लिए कुछ खास है, किसी अन्य कला के मुकाबले उसके पास देने को बहुत कुछ है।’’

60 वर्षीय लेखक का कहना है कि लेखनी के लिए आदर्श स्थिति वह है जब लेखन से ज्यादा और किसी का महत्व ना हो।

थरूर ने कहा, ‘‘लेखन के लिए आदर्श स्थिति वह है, जब आप जो लिख रहे हैं उसमें इस कदर समा जाएं कि अन्य चीजें जैसे... आप के कपड़े, आपकी दाढ़ी, आपका खाना सबकुछ अप्रासंगिक हो जाए। जब मैंने ‘एन एरा ऑफ डार्कनेस’’ लिखा था तो मेरी हालत भी कमोबेश ऐसी ही थी।’’

लेखनी के साथ-साथ अपने पढऩे की आदत के लिए लोकप्रिय थरूर का कहना है कि वह साल में कम से कम दर्जन भर किताबें जरूर पढ़ते हैं।

उनका कहना है, ‘‘मैं बिना सोचे-समझे पढ़ता हूं, लेकिन किताबी कीड़ा नहीं हूं। फिर भी मैं कम से कम दर्जन भर किताबें पढ़ ही लेता हूं, लेकिन मैं जो कर सकता हूं, उसके मुकाबले यह कुछ भी नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘बच्चों के होने से पहले मैं और मेरी पत्नी महीने में चार-पांच किताबें आसानी से पढ़ लेते थे।’’
भाषा



 

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