जयपुर। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोटा में भाजपा कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच हुए घटनाक्रम पर कहा है कि इससे यह साबित होता है कि राज्य सरकार का इकबाल खत्म हो गया है।
गहलोत ने रविवार को यहां अपने निवास पर मीडिया से कहा कि कानून को हाथ में लेने का अधिकार किसी को नहीं है तथा सीआई के साथ किए गए दुर्व्यवहार को किसी भी रूप में उचित नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने कहा कि यदि स्थानीय पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही थी तो उच्चाधिकारियों से शिकायत की जा सकती थी। कोटा प्रकरण सत्ता पक्ष में बैठे लोगों के अह्म के कारण हुआ।
उन्होंने जांच के लिए भाजपा प्रदेशाध्यक्ष को भेजे जाने का कोई तुक नहीं बताते हुए कहा कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को तो सिर्फ आमजन में व्याप्त धारणा को ठीक करने और डैमेज कंट्रोल करने के लिए वहां भेजा गया था।
बजट सत्र को लेकर गहलोत ने कहा कि प्रतिपक्ष के नेता रामेश्वर डूडी से उनकी लम्बी चर्चाएं हुई हैं और कांग्रेस विधायक दल सभी जनहित मुद्दों को उठाएगा और सरकार को घेरने का प्रयास करेगा। उन्होंने मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष से आग्रह किया है कि विपक्ष की आवाज को दबाने का प्रयास नहीं करना चाहिए। विपक्ष की संख्या कम हो सकती है। मगर उसके द्वारा की गई आलोचना से भी सत्ता पक्ष और राज्य को लाभ मिलता है। आलोचना के कारण सरकारी मशीनरी सजग होती है और वह काम करती है।
राज्य में कानून व्यवस्था के सवाल पर उन्होंने कहा सरकार की नाक के नीचे राजधानी जयपुर और प्रदेश में जो घटनाएं हो रही हैं वे दुर्भाग्यपूर्ण है। दु:ख इस बात का है कि तीन साल से हम लगातार आगाह कर रहे हैं मगर न तो गृहमंत्री और न ही मुख्यमंत्री के चेहरे पर चिंता की लकीरें हैं। हम विपक्ष में हैं, हमारी भावनाओं की इज्जत करते तो इनको ही लाभ मिलता।