उदयपुर। राजस्थान के उदयपुर में अखिल भारतीय कुंभा संगीत समारोह के 55वें समारोह के दूसरे दिन कोलकाता के संदीप भट्टाचार्य के ‘राग मारूविहाग से विलम्बित एक ताल में रसिया होने जाउं’ से श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए। महाराणा कुंभा संगीत परिषद द्वारा सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के विवेकानंद सभागार में शनिवार रात्रि को आयोजित कार्यक्रम में भट्टाचार्य ने राग सोहिनी में देख वेखो मन ललचाएं तथा फरमाईश बंदिश एक ताल में सखी केवरा.. गाया तो इस गायन ने श्रोताओं का दिल जीत लिया।
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इनके साथ तबले पर संदीप घोष, हार्मोनियम पर परोमिता मुखर्जी एवं तानपुरे पर अमरदीप शर्मा ने संगत की। किराना घराना में संगीत की शिक्षा लेने वाले संदीप के गायन के श्रोता मुरीद हो गए। समारोह के दूसरे सत्र में ग्रेमी अवार्ड, पद्मश्री एवं पद्मभूषण अवार्ड विजेता पं. विश्वमोहन भट्ट एवं सलिल भट्ट के मोहन वीणा वादन की प्रस्तुति हुई।
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पिता-पुत्र की जोड़ी ने कार्यक्रम की शुरूआत खिमाज थाट का राग गावती से की। इसमें इन्होंने अलाप,जाड़, ख्याला के साथ विलम्बित एवं दुरत गत एवं त्रिताल में निबंध रचना प्रस्तुत की तो श्रोता उसी में खो गए।
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तबले पर उनका साथ बनारस घराने के पं. रामकुमार मिश्रा ने दिया। वीणा एवं तबले की संगत ने सभी संगीत प्रेमियों को आनन्द में डूबो दिया। समारोह में डॉ. यशवन्त कोठारी चेरिटेबल ट्रस्ट की ओर से डॉ. यशवन्त कोठारी कुम्भा पुरस्कार पद्यभूषण पंडित विश्वमोहन भट्ट को प्रदान किया गया।
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