नई दिल्ली। चित्तौडग़ढ़ सांसद सी.पी.जोशी ने लोक सभा में शुन्यकाल में ग्रामीण डाक सेवकों मुद्दा उठाते हुए कहा कि ग्रामीण डाक सेवक डाक विभाग की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। गांव-गांव में इनके माध्यम से सामाजिक सुरक्षा पेंशन, वृद्धावस्था पेंशन, महानरेगा का भुगतान, रजिस्टर्ड एवं साधारण डाक की बुकिंग एवं वितरण, डाक जीवन बीमा, मातृत्व लाभ योजना एवं बचत योजना सम्बिन्धित सारे कार्य किये जाते हैं।
सरकार की योजनाओं व अनुदान आम जनता तक पहुंचाया जाता है। इनको मेहनत और कड़े परिश्रम के मुकाबले उचित मानदेय नहीं मिलता है। यह लोग सामान्य से ज्यादा समय इस कार्य के लिये देते है एवं इनको काम करने के लिये अधिक सुविधायें नहीं मिलती है। फिर भी ये लोग अपना कार्य पूरी तत्परता से करते है। सांसद जोशी ने कहा कि ग्रामीण डाक सेवा में सीमित संसाधनों में कार्य करना पड़ता है।
सभी ग्रामीण डाक सेवक इस कार्य के लिये मात्र 6,000 मासिक वेतन पाते है। पूर्व में सरकार ने इनके उत्थान के लिये जस्टिस तलवार कमेटी का गठन भी किया था परन्तु किसी कारण बस जस्टिस तलवार कमेटी की सिफारिशे लागू नहीं हो पायी थी। न्यायालय ने भी इनको सिविल सर्वेट माना है। परन्तु अभी तक किसी भी प्रकार की पेंषन, सामाजिक सुरक्षा, ग्रेच्युटी, मेडीकल, प्रसूति अवकाष व अन्य किसी लाभ से वंचित है।
सांसद जोशी ने कहा इन ग्रामीण डाक सेवाकों को केन्द्रीय कर्मचारियों के समान द$र्जा मिले, 7 वें वेतन आयोग में ग्रामीण डाक सेवकों को भी शामिल किया जाये। साथ ही दूसरे कर्मचारियों के समान इनकों भी मंहगाई भत्ता मिले, इनके परिजनों को अनुकम्पात्मक नियुक्ति दी जाये, इसके साथ ही इनके द्वारा समय-समय पर उठाई जा रही मांगों को गंभीरता पूर्वक लेकर इन पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करे।