जयपुर। चैत्र मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली सप्तमी तिथि को शीतला सप्तमी और अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी के नाम से जाना जाता है। ऋतु परिवर्तन के समय शीतला माता का व्रत और पूजन करने का विधान है। इस साल बड़े ही हर्षोल्लास के साथ 20 मार्च सोमवार को शीतला अष्टमी का पर्व मनाया जाएगा।
जानिए! अंग फड़कने के शुभ-अशुभ फल के बारे में
राजधानी में शीतला अष्टमी पर्व को लेकर सभी स्थानों पर तैयारियां शुरू हो गई है। शीतला अष्टमी से एक दिन पहले घरों में दिनभर रांदापुआ का दौर जारी रहेगा। रांदापुआ का मतलब होता है आज के दिन घरों में अलग-अलग प्रकार के व्यंजन बनेंगे और कल इन ठंडे व्यंजनों का शीतला माता को भोग लगाया जाएगा।
कैंसर जैसे भयानक रोग को जन्म देते हैं ये वास्तुदोष
इसके बाद सभी पूरे दिन यही ठंडा खाना खाएंगे। शीतला अष्टमी के लिए घरों में पकवान बनने शुरू हो गए है। पूरा प्रदेश इन पकवानों की खुशबू से महक रहा है। शीतला अष्टमी के दिन सुबह से ही महिलाएं सजधज कर विधि-विधान पूर्वक हाथों में पूजा की थाली लिए मंदिरों में पूजा-अर्चना करने पहुंचेगी और ठण्डे व्यंजनों का भोग लगाकर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करेंगी।
(Source - Google)
इन ख़बरों पर भी डालें एक नजर :-
चांदी से जुड़े ये उपाय चमका देंगे आपकी किस्मत
कहीं आपके अवगुण तो नहीं बन रहे आपकी असफलता का कारण
ईशान कोण के लिए कुछ खास वास्तु टिप्स