राजस्थान दिवस स्पेशल: 22 रियासतों को मिलाकर बना राजपुताना, पढ़ें- मरुभूमि से जुड़ी कुछ रोचक बातें

Samachar Jagat | Tuesday, 28 Mar 2017 08:19:18 PM
Rajasthan Day Special Rajputana made up of 22 princely states Read some interesting things related to the desert

मनीष महावर
जयपुर।
 राजस्थान स्थापना दिवस हर वर्ष 30 मार्च को मनाया जाता है। 30 मार्च, 1949 में जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर रियासतों का विलय होकर ‘वृहत्तर राजस्थान संघ’ बना था। उसी दिन को राजस्थान की स्थापना का दिन माना जाता है।

 

राजस्थान की स्थापना:

ब्रिटिश शासकों द्वारा भारत को आजाद करने की घोषणा के बाद जब सत्ता पलटी तो राजस्थान की स्थापना होना तय था। लेकिन उस समय राजस्थान छोटी-छोटी सियासतों में बटा हुआ था। उस समय राजस्थान में करीब 22 देशी रियासते थी। राजस्थान में राजपूतों की बाहुलता थी।

राज्य में भी अपनी सत्ता बनाए रखने को लेकर टकराव होते रहे। आज़ादी की घोषणा के साथ ही राजपूताना के देशी रियासतों के मुखियाओं में स्वतंत्र इनमें एक रियासत अजमेर मेरवाडा प्रांत को छोड़ कर शेष देशी रियासतों पर देशी राजा महाराजाओं का ही राज था।

अजमेर-मारवाडा प्रांत पर ब्रिटिश शासकों का कब्जा था। इस कारण यह तो सीघे ही स्वतंत्र भारत में आ जाती, मगर शेष 21 रियासतों का विलय होना यानि एकीकरण कर ‘राजस्थान’ प्रांत बनाया जाना थोड़ा मुश्किल साबित हो रहा था। इन देशी रियासतों के राजा अपनी रियासतों को स्वतंत्र भारत में विलय को लेकर तैयार नहीं थे।

उनकी मांग थी कि वे सालों से खुद अपने राज्यों का शासन चलाते आ रहे हैं, उन्हें इसका दीर्घकालीन अनुभव है, इस कारण उनकी रियासत को ‘स्वतंत्र राज्य’ का दर्जा दे दिया जाए। करीब एक दशक की उठापटक के बाद 18 मार्च 1948 को राजस्थान के एकीकरण की प्रक्रिया शुरू हुई।

ये प्रक्रिया कुल 7 चरणों में 1 नवंबर 1956 को पूरी की गई। इसमें भारत सरकार के तत्कालीन देशी रियासत और गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल और उनके सचिव वीपी मेनन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण थी। इनकी सूझबूझ से ही राजस्थान के वर्तमान स्वरूप का निर्माण हो सका।

 

सात चरणों में बना राजस्थान:

18 मार्च, 1948 को अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली रियासतों का विलय होकर ‘मत्स्य संघ’ बना। धौलपुर के तत्कालीन महाराजा उदयसिंह राजप्रमुख व अलवर राजधानी बनी।

25 मार्च, 1948 को कोटा, बूंदी, झालावाड़, टोंक, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, किशनगढ़ व शाहपुरा का विलय होकर राजस्थान संघ बना।

18 अप्रैल, 1948 को उदयपुर रियासत का विलय हुआ। इसके बाद इसका नया नाम ‘संयुक्त राजस्थान संघ’ रखा गया। उदयपुर के तत्कालीन महाराणा भूपाल सिंह राजप्रमुख बने।

30 मार्च, 1949 में जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर रियासतों का विलय होकर ‘वृहत्तर राजस्थान संघ’ बना था। यही राजस्थान की स्थापना का दिन माना जाता है।

15 अप्रैल, 1949 को ‘मत्स्य संघ’ का वृहत्तर राजस्थान संघ में विलय हो गया।

26 जनवरी, 1950 को सिरोही रियासत को भी वृहत्तर राजस्थान संघ में मिलाया गया।

1 नवंबर, 1956 को आबू, देलवाड़ा तहसील का भी राजस्थान में विलय हुआ, मध्य प्रदेश में शामिल सुनेल टप्पा का भी विलय हुआ।

 

राजस्थान का इतिहास रहा गौरवशाली:

यहां के वीरों में ही नहीं बल्कि वीरांगनाओं में भी विरता कूट-कूट कर भरी हुई थी। राजस्थान का इतिहास ऐसी विरांगनाओं के बलिदानों से भरा पड़ा है। शौर्य और साहस ही नहीं बल्कि हमारी धरती के सपूतों ने हर क्षेत्र में कमाल दिखाकर देश-दुनिया में राजस्थान के नाम को चांद-तारों सा चमका दिया।

राजस्थान की धरती पर रणबांकुरों ने जन्म लिया है। यहां वीरांगनाओं ने भी अपने त्याग और बलिदान से मातृभूमि को सींचा है। यहां धरती का वीर योद्धा कहे जाने वाले पृथ्वीराज चौहान जैसे सपूतों ने जन्म लिया है। जोधपुर के राजा जसवंत सिंह के 12 साल के पुत्र पृथ्वी ने तो हाथों से औरंगजेब के खूंखार भूखे जंगली शेर का जबड़ा फाड़ डाला था। राणा सांगा ने सौ से भी ज्यादा युद्ध लडक़र साहस का परिचय दिया था।

पन्ना धाय के बलिदान के साथ बुलन्दा (पाली) के ठाकुर मोहकम सिंह की रानी बाघेली का बलिदान भी अमर है। जोधपुर के राजकुमार अजीत सिंह को औरंगजेब से बचाने के लिए वे उन्हें अपनी नवजात राजकुमारी की जगह छुपाकर लाई थीं।

 

राजस्थान दिवस समारोह की शुरूआत:

राजस्थान राज्य के स्थापना दिवस के अवसर पर 30 मार्च की शाम को जयपुर स्थित जनपथ पर राजस्थान दिवस समारोह के तहत कई तरह के रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। राजस्थान सरकार के प्रमुख पर्यटन शासन सचिव के अनुसार 100 मिनट के इस कार्यक्रम में राज्य के 7 सम्भागों की 7 अलग-अलग झांकियां निकाली जाती रही है।

वहीं लोक कलाकारों द्वारा प्रस्तुतियां, पुलिस के जवानों द्वारा मोटरसाईकिलों पर साहसिक करतब, खेलकूद, लाईव कॉन्सर्ट सहित कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहा है। इस दौरान पुलिस के घोड़ों और ऊंटों का एक जुलूस भी निकाला जाता है। गौरतलब है कि पूर्व में राजस्थान दिवस समारोह के तहत सात दिवसीय व्यापक कार्यक्रम प्रस्तावित थे, लेकिन कुछ दिनों पहले इस समारोह को तीन दिवसीय कर दिया गया। इसके तहत अब 28 से 30 मार्च तक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।  



 

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