नोटबंदी की मंशा की आलोचना नहीं होनी चाहिए: जोशी

Samachar Jagat | Monday, 23 Jan 2017 08:33:32 PM
prasoon joshi says should not criticize the intent of demonetisation

जयपुर। मशहूर कवि-गीतकार प्रसून जोशी ने आज कहा कि नोटबंदी की ‘‘मंशा’’ की आलोचना नहीं होनी चाहिए क्योंकि इस तरह के कदम भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए उठाने होंगे और इन्हें सिर्फ वित्तीय परिप्रेक्ष्य में नहीं देखा जाना चाहिए। 

जयपुर साहित्य उत्सव के अंतिम दिन जोशी ने कहा कि कोई भी देश खुद पर गर्व नहीं कर सकता जब तक वह अपने कमजोर लोगों की रक्षा नहीं करता।

उन्होंने कहा, ‘‘किसी को भ्रष्टाचार के खिलाफ इस तरह के कदम उठाने होंगे। यह महज वित्तीय भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ नहीं है बल्कि भावनात्मक और विचारधारा के भ्रष्टाचार से भी जुड़ा हुआ है।’’

जोशी ने कहा कि पिछले वर्ष बॉब डिलन को जब साहित्य के नोबल पुरस्कार से नवाजा गया तो उन्हें खुशी हुई क्योंकि यह कला के क्षेत्र में दूरियों को पाटने का कदम है।

वहीं साहित्य उत्सव में फिल्म निर्देशक सुधीर मिश्रा ने कहा कि भारतीय सिनेमा ने एक विचार को ज्यादा बढ़ा चढ़ाकर पेश किया है जबकि दलितों को कम प्रतिनिधित्व दिया है और अल्पसंख्यकों को सीमित तरीके से पेश किया गया है। उन्होंने कहा कि अब यह परिपाटी बदल रही है।

मिश्रा ने कहा, ‘‘इसने एक विचार को ज्यादा पेश किया है संभवत इसके पीछे लोगों को निराश नहीं करने का विचार है। एक समय मुस्लिमों को एक निश्चित तरीके से क्यों पेश किया जाता था? क्यों वह कोई कव्वाल या हीरो का सबसे अच्छा दोस्त ही बना और जब वह मरता था तो पृष्ठभूमि में अजान चलाया जाता था।’’

मिश्रा ने कहा कि यह ‘‘दुखद’’ है कि बॉलीवुड की फिल्मों में शायद ही कभी ‘‘दलित अभिनेता’’ का चरित्र होता था या हाशिये के समुदायों की कहानी पर फिल्में बनती थीं।
 



 

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