जयपुर। राजस्थान में जयपुर और जैसलमेर की इस पावन धरती पर मैंने 3-4 फ़िल्में शूट की है, ये शहर काफी सकारात्मक, साफ़ सुथरा और व्यवस्थित है। यहीं देखते हुए हमने कोशिश की है कि फिल्म के गानों में कोई बॉलीवुड का तड़का न लगे, सारा संगीत राजस्थान के फोक म्यूज़िक से प्रेरित है और यहीं के संगीतकारों ने उसे गाया है।
साथ ही फिल्म में कई ऐसी सड़के और जगहें दिखेंगी जिससे लोग फिल्म से खुद का जुड़ाव महसूस कर सकेंगे। ये कहना था फिल्म 'वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई' फेम एक्टर रोहित पाठक का। फिल्म 'कागपंथ' की शूटिंग के लिए खातीपुरा स्थित एक स्कूल को पुलिस स्टेशन में तब्दील करके वहां शूटिंग के सेट्स लगाए गए है। लगभग 7 दिन के शूट के लिए मुंबई से जयपुर आए एक्टर रोहित पाठक ने अपने कॅरियर और इस फिल्म से जुड़े अनुभव समाचार जगत से साझा किए।
'मां करणी योगी प्राइवेट लिमिटेड' के बैनर तले बनी रही फिल्म के प्रोड्यूसर योगेश अभी है और दीपांकर प्रकाश ने फिल्म को डाइरेक्ट किया है। रोहित कहते है कि फिल्म में मैं एक पुलिस ऑफिसर के किरदार में हूं जो अपने जीवन में घटी किसी अप्रिय घटना से इतना प्रभावित है कि उस से सम्बंधित वाक्ये से परेशान हो जाता है। फिल्म में उसका परिवार पत्नी और 8 साल की बेटी है, और वे अपनी बेटी के लिए कुछ भी कर सकता है। फिल्म में हिन्दू मुस्लमान की टकरार की झलकियां दिखेगी जो की मेरे किरदार से काफी जुड़ाव रखती दिखेगी।
जयपुर का थिएटर करता है मुझे आकर्षित-
थिएटर से जुड़ा होने के कारण मैं जयपुर में रवींद्र मंच और जेकेके जैसी जगहों पर एक बार किसी अच्छे नाटक में किरदार निभाना चाहता हूं। गौरतलब है कि रोहित पाठक आर्मी बेस्ड शार्ट फ़िल्म 'तुम हो तो हम हैं' में काम कर चुके हैं। जिसे अमिताभ बच्चन ने फेसबुक पर शेयर किया, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया और इंडियन आर्मी के ऑफिसर्स ने भी सपोर्ट किया है।
फ़िल्म में वे ऐसे आर्मीमेन के किरदार में हैं जो अपने साथी से बॉर्डर पर देशभर में चल रहे एन्टी आर्मी माहौल पर बात करता है। रोहित ने बताया कि इस शार्ट फिल्म को कई व्यूज़ मिले हैं। लेकिन जब अमिताभ सर ने फिल्म को सराहा तब मुझे फिल्म लगा कि मैंने अच्छा काम किया और इस काम की चर्चा हो रही है।
एक्टर के खानदानों के नाम से नहीं बनते वो लम्बी रेस के घोड़े -
हर इंसान अपनी किस्मत लिखा के आता है। ये उन सितारों के बच्चों की किस्मत है कि आज वो इस जगह है मगर कड़ा परिश्रम ही इंसान को लम्बी रेस का घोड़ा बना सकता है। उस समय किसी भी गॉड फादर या खानदान का नाम काम नहीं आता। मैं उन सभी एक्टर्स को काफी सम्मान देता हूं जो एक छोटी से जगह से आकर दुनिया में अपना ही नहीं देश के नाम रोशन कर रहे है।
मैं ऐसे ही लोगो को देख हौसला बढ़ाता हूं, खुद उत्तर प्रदेश स्थित लखनऊ के ख़रगोई डिस्ट्रिक्ट से मुंबई तक का सफर तय किया है। बॉलीवुड में काफी लेट एंट्री हुई इसलिए संघर्ष के पैमाने ज्यादा हो गए। थिएटर और एक्टिंग कोर्स से कुछ रास्ता एहसान हो हो गया मगर जल्द ये भी समाज आ गया कि अगर टैलेंट नहीं है तो इस इंडस्ट्री में कोई काम नहीं देगा।