जयपुर। राजस्थान की महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री अनिता भदेल ने प्रदेश में आंगनबाड़ी केन्द्रों को खोलने के लिए हो रहे प्रयासों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में नए आंगनबाड़ी केन्द्रों को खोलने के साथ ही अक्रियाशील केन्द्रों को गतिशील बनाने के प्रयास किए जा रहे है। भदेल ने गुरुवार को विधानसभा में भाजपा के विधायक हमीर सिंह भायल द्वारा नए आंगनबाड़ी केन्द्र खोलने के संबंध में पूछे गए प्रश्न का जवाब दिया। भदेल ने कहा कि बाडमेर जिले में 166 आंगनबाड़ी केन्द्र अक्रियाशील है।
उन्होंने कहा कि इन केन्द्रों के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका नहीं मिलने के कारण इनको अभी तक क्रियाशील नहीं किया जा सका है। उन्होंने कहा कि बाड़मेर में 42 आंगनबाड़ी केंद्र नए खोले जा रहे हैं और सिवाना में सात नए आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए स्वीकृति दी जा चुकी है। उन्होंने कहा कि अकेले बाडमेर जिले में ही 166 आंगनबाडी केन्द्र अक्रियाशील है जिनमें सिवाना में 15 और चार मिनी आंगनबाड़ी केंद्र हैं।
भदेल ने बताया कि यदि इनको क्रियाशील कर दिया जाए तो कुल 19 आंगनबाड़ी केंद्र जिले को मिल जाएंगे। उन्होंने बताया कि आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पोषाहार वितरण में गुणवत्ता के मद्देनजर विशेष अधिकारियों द्वारा औचक निरीक्षण भी किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश भर में पोषाहार में गुणवत्ता रखने के लिए वाट््सगु्रप बनाए गए हैं, जहां से प्रतिदिन पोषाहार से जुड़ी सैंकड़ों फोटो अधिकारियों को मिलती है।
उन्होंने यह भी बताया कि पिछले वर्ष विभाग ने 5 हजार 349 नमूनों की जांच की थी। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार स्वयं सेवी सहायता समूहों द्वारा ही आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषाहार का वितरण किया जाता है। गुणवत्ता बनाए रखने के लिए नियम बनाएं गए और चेक लिस्ट के अनुसार पोषाहार की जांच होती है। कांग्रेस विधायक मेवाराम जैन द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के चयन में भेदभाव बरतने पर उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के चयन में पूरी पारदर्शिता बरती जाती है।
ग्रामसभा के जरिए प्रस्ताव लिए जाते हैं और अभ्यर्थी का मेरिट के अनुसार चयन होता है। भदेल ने कहा कि राज्य सरकार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के मानदेय बढ़ाने के प्रति संवेदनशील है और पिछले बजट में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय 400 रुपए और सहायिका का 250 रुपए बढ़ाया था। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने इस बजट में भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय इंसेटिव बेस्ड कर दिया है।
भदेल ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका राजकीय कर्मचारी की श्रेणी में नहीं आते हैं अत: इनके लिए पेंशन सुविधा लागू करने का प्रावधान नहीं है और नहीं राज्य सरकार के पास इस तरह का कोई प्रस्ताव विचाराधीन है। उन्होंने बताया कि आंगनबाड़ी केन्द्रों पर कार्यरत महिलाओं की आयु को 58 वर्ष पूर्ण मानकर सेवा से नहीं हटाया जा रहा है। विभाग के दिशा निर्देशानुसार 60 वर्ष की आयु पूर्ण करने पर मानदेय सेवा से पृथक किया जाता रहा है।
वार्ता