उदयपुर। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, उदयपुर और राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, जोधपुर के संयुक्त तत्वावधान में यहां चल रहें तीन दिवसीय राजस्थानी नाट्य समारोह के दूसरे दिन नाटक ''कथा सुकवि सूर्यमल की" का मंचन किया गया।
शिल्पग्राम के दर्पण सभागार में चल रहे समारोह में कल रात्रि राजेन्द्र पंचाल द्वारा निर्देशित नाटक ''कथा सुकवि सूर्यमल की" में बूंदी के महाकवि सूर्यमल्ल मिश्रण के व्यक्तित्व और कृतित्व को रंगमंच पर रूपायित किया गया। प्रस्तुत नाटक 1857 की क्रान्ति के दौर में कवि सूर्यमल मिश्रण के अंतद्र्वंद को दर्शाता है। राजस्थान के वेदव्यास के नाम से विख्यात कवि सूर्यमल मिश्रण जब लगभग पूरा भारत ब्रिटिश सरकार और अंग्रेजो से संधिया कर चुका था, उसी समय बूंदी के महाराव राजा विष्णु सिंह ने भी ईस्ट इंडिया कंपनी से संधी की।
महाराजा राव की मृत्यु के बाद रामसिंह को अल्पायु बूंदी की गद्दी पर बैठाया गया इसी काल में सूर्यमल मिश्रण रतलाम रियासत के महाराज बलवंत सिंह के पास भी गए, लेकिन बूंदी के महाराव रामभसह के बिना कवि का मन नहीं लगा तो कुछ ही दिनों में लौट आए। 1857 की क्रांति के दौरान राम सिंह द्वारा क्रांतिकारियों को अपना समर्थन देने से व्यथित हुए। इसके बाद वह धरती प्रेम, स्वदेश हित की रक्षा के लिए वीर सतसई काव्य की रचना करने लगे। इसी दौरान कवि का निधन हो गया।
कोटा की पेराफिन सोसायटी के कलाकारों द्वारा मंचित इस नाट्य प्रस्तुति में कलाकारों ने अपने अभिनय और भाव भंगिमाओं से दर्शकों को बांधे रखा। नाटक की परिकल्पना और निर्देशन राजेन्द्र पंचाल का था जिन्होंने स्वयं कवि सूर्यमल के किरदार को बखूबी अभिनीत किया।
वार्ता