जयपुर। भारत के मुख्य सांख्यिकी विद् प्रोफेसर टी.सी.ए. अनन्त ने कहा है कि ब्रिक्स देशों के पास औद्योगिक विकास की प्रचुर संभावनाओं के मद्देनजर सांख्यिकी आंकडों के परस्पर विशलेषण से ये देश अपने औद्योगिक क्षेत्र के विकास को नये स्तर पर ले जा सकते है।
अनंत ने आज यहां ब्रिक्स देशों के सांख्यिकी मंत्रालयों के अधिकारियों की दो दिवसीय बैठक का शुभारंभ करते हुये कहा कि ब्रिक्स देशों की औद्योगिक परिस्थितियां भले ही अलग हो , लेकिन उनकी आवश्यकताएं लगभग समान हैं और यही वजह है कि सांख्यिकी आंकड़ों के परस्पर विश्लेषण से ये देश अपने औद्योगिक क्षेत्र के विकास को नए स्तर तक ले जा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में औद्योगिक क्षेत्र का काफी महत्व है और सही समय पर सही रणनीति तैयार करना तभी संभव है, जब सांख्यिकी आंकड़े विस्तृत रूप से सही समय पर मिलें। उन्होंने कहा कि जिस तेजी से औद्योगिक क्षेत्र में परिवर्तन आ रहे हैं, उतनी ही तेजी से इस क्षेत्र में चुनौतियां भी बढ़ रही हैं। उन्होंने जानकारी दी कि भारत में नए औद्योगिक सूचकांक पर तेजी से काम चल रहा है, जो वर्तमान वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारतीय आवश्यकताओं की और अधिक पूर्ति करने में सहायक सिद्ध होगा।
उद्घाटन सत्र में विषय प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय के महानिदेशक डॉ. जी.सी. मन्ना ने कहा कि ब्रिक्स देशों के सांख्यिकी मंत्रालयों के विभागाध्यक्षों की बैठक के दौरान औद्योगिक क्षेत्र की उपलब्धियों का आकलन करने में सहायता मिलेगी।
उन्होंने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में विनिर्माण क्षेत्र का महत्व काफी बढ़ गया है। जनसंख्या के आधार पर ब्रिक्स के देशों का प्रतिनिधित्व लगभग 42 प्रतिशत है, लेकिन सकल घरेलू उत्पाद के मामले में ये देश 20 प्रतिशत से कुछ ही अधिक योगदान दे रहे हैं। ऐसी स्थिति में सांख्यिकी तंत्र को मजबूत बनाकर ब्रिक्स देशों में औद्योगिक विकास की संभावनाओं को और अधिक बढ़ाया जा सकता है।
बैठक में भारत के अलावा रूस, चीन, दक्षिण अफ्रीका के सांख्यिकी विभागों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।