महाराणा प्रताप राजपूत नहीं भील समुदाय के थे दलित लेखिका का दावा

Samachar Jagat | Friday, 28 Apr 2017 05:43:46 AM
Maharana Pratap Rajput not claiming the Dalit writer of Bhil community

जयपुर। उदयपुर की 69 वर्षीय दलित लेखिका कुसुम मेघवाल ने अपनी पुस्तक में यह दावा किया कि महाराणा प्रताप राजपूत नहीं भील समुदाय के थे और बाद में उन्हें मेवाड का राणा बनाया गया।

उदयपुर के अम्बामाता थाना में लेखिका की ओर से दर्ज शिकायत के अनुसार पिछले कई दिनों से उन्हें अज्ञात नम्बरों पर फोन पर पुस्तक लिखने पर जान से मारने की धमकियां मिल रही है। सोशल मीडिया पर भी मेघवाल की महाराणा प्रताप के दावे पर बहस छिड़ गई है। उदयपुर के पुलिस अधीक्षक राजेंद्र प्रसाद ने बताया, ‘‘लेखिका की दर्ज शिकायत पर मैंने संबंधित अधिकारियों को मामले में जांच करने के लिये कहा है, लेखिका ने फोन नंबर दिये है, जांच जारी है।’’

मेघवाल ने आरोप लगाया कि उन्हें अज्ञात नम्बरों से अज्ञात व्यक्ति फोन कर रहे हैं, जो अपने आप को करणी सेना और ठाकुर होने का दावा करते है। लेखिका ने अपनी ओर से दर्ज शिकायत में कहा कि उन्हें अज्ञात नम्बरों से फोन आ रहे हैं और पुस्तक लिखने पर उन्हें जान से मारने की धमकी दी जा रही है। कुछ फोन करने वाले करणी सेना का होने का दावा करते है तो कुछ अपने आप को ठाकुर बता रहे है। वह पिछले सात दिनों से अपने घर से नहीं निकली हूं।

मेघवाल से उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिये जब उनके मोबाइल पर सम्पर्क किया गया तो उनका फोन बंद पाया गया।मेघवाल ने अपनी पुस्तक ‘महाराणा प्रताप भील राजपुत्र दी क्षत्रिय या राजपूत नहीं’ कहा कि भील शब्द संस्कृत के शब्द भीला से आया है जिसका मतलब बहादुर और सामरिक होता है। पूरे मेवाड में भील समाज परंपरागत तरीके से फैला हुआ है और उनकी पहचान सामरिक ताकत है।

महाराणा प्रताप भी भील थे जिन्हें बाद में एक समारोह में सूर्यवंशी बनाने के लिये मेवाड का राणा बनाया गया। इससे पूर्व प्रदेश की भाजपा सरकार स्कूली छात्रों को महाराणा प्रताप द्वारा मुगल शासक अकबर को हल्दीघाटी युद्ध में परास्त करने के मामले को लेकर विवादों में पड़ चुकी है। -(एजेंसी)



 

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