जयपुर। अपनी शादी के बाद जब मैंने अजयगढ़ के ग्रामीण लोगों को देखा तो उनकी कई तकलीफें साफ नजर आने लगी थीं। उनके पढ़े-लिखे ना होने की वजह से उन्हें आज के जमाने के साथ आगे बढऩे की कोई राह नहीं दिखी, इसलिए मैंने ‘सूर्योदय’ की शुरुआत की।
ये कहना था रानी अजयगढ़ शोभल सिंह का, जयपुर के खंडेला परिवार की बेटी ने जयपुर ही नहीं पूरे देश की महिलाओं और बच्चों को शिक्षित करने के लिए एनजीओ ‘सूर्योदय’ शुरू की।
अशिक्षित महिलाओं को देख आया इस संस्थान का विचार
सिंह ने बताया कि मैंने लेडी श्रीराम कॉलेज से ग्रेजुएशन खत्म करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से वकालत की पढ़ाई की। पिता के बैंक में कार्यरत होने की वजह से काफी जगहों पर घूमने का मौका मिला। अजयगढ़ के राजपरिवार में शादी के बाद मैंने वहां के ग्रामीण परिवारों का दु:ख काफी नजदीकी से महसूस किया।
गांव होने की वजह से वहां करने को कुछ नहीं था तो सोचा क्यों न इन्हीं लोगों के लिए कुछ अच्छा किया जाए। इस विचार के साथ मैंने ‘सूर्योदय’ को दिल्ली में 2004 में रजिस्टर किया। जो की महिलाओं और बच्चों के उत्तम भविष्य के लिए कार्यरत है। इसमें मुझे अपने पति, माता-पिता और सास-ससुर का काफी सपोर्ट मिला।
खेतीहर महिलाओं से की शुरुआत
मेरे पति खेती में काफी दिलचस्पी रखते हैं। उन्ही के साथ जब मैं खेतों में जाती तो वहां काम करने वाली महिलाओं से काफी घुलने मिलने का मौका मिला। उन्होंने बताया कि गर्भवती महिला की डिलिवरी वे घरों में दाईमां को बुलाकर किया करती है। जिसकी वजह से महिला और बच्चे दोनों की जान को खतरा बना रहता है।
ना लोगों को स्वच्छता की खबर थी न ही सरकार द्वारा निकाली गई फायदेमंद योजनाओं की। मैंने वर्कशॉप्स और मेडिकल कैम्प्स की मदद से वहां रहने वाले लोगों को अवगत कराया कि उनका हॉस्पिटल जाना कितना जरूरी है और वहां सरकार द्वारा मुफ्त योजनाओं का फायदा किस तरह उठा सकते हैं।
हसनपुर बस्ती और 30 आंगनबाड़ी को लिया गोद
सिंह बताती हैं कि उनके बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए उन्हें दिल्ली आना पड़ा, जहां वह मौका मिलने पर साथ की साथ अजयगढ़ जाकर सूर्योदय का काम देखती। दिल्ली के प्रदूषण से परेशान होने की वजह से वह जयपुर आई और उसके बाद उन्होंने हसनपुर की बस्ती और 30 आंगनबाड़ी केंद्रों को गोद लिया।
सिंह कहती हैं कि वहां रहने वाली महिलाओं और बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के मकसद से हमने उन जगहों का खास ध्यान रखना शुरू किया। जिसके लिए मेरे साथ कई वर्किंग बिजनस लेडीज जुड़ी हैं साथ ही कई ऐसे युवा बच्चे हैं जो अपनी पढ़ाई कॉलेज से समय निकालकर इस काम में मदद करते।
हमने वहां की महिलाओं को सैनेट्री नैपकिन्स के बारे में ज्ञात कराया साथ ही ग्रुप की सभी महिलाओं ने कुछ रुपए जोड़ के चेन्नई से 15 अगस्त 2016 इंसीवेर्टर मशीन को स्थापित किया, जिससे सैनिट्री नैपकिन्स को डिस्पोज करने में मदद मिलती है।
बच्चियों की शिक्षा की ओर बढ़ा हैं कदम
हसनपुर बस्ती में स्थित महा सरस्वती विद्या स्कूल में पढ़ रहे 3 से 6 साल तक के बच्चों को पढ़ाई की सामग्री बांटा जाता है। जिसके लिए हम संस्थान की महिलाएं और वालंटियर ये सामग्री लोगों से एकत्रित करते हैं या फिर खुद की इच्छा अनुसार खरीद के देते हैं।
हाल में हम 700 बच्चों को पढऩे के लिए सामग्री उपलब्ध करवा रहे है। इन के अलावा जगतपुरा में मस्जिद मोहल्ले के आसपास के इलाके में हम बच्चों को महिलाओं को उनके उत्तम भविष्य के लिए जागरूक कर रहे हैं।