जयपुर। राजस्थान विधानसभा में गुरुवार को सत्ता पक्ष के विधायकों ने पेट्रोल पंपों पर की जा रही मिलावट और उपभोक्ताओं को कम पेट्रोल की आपूर्ति करने के मुद्दे पर सरकार को घेरने का प्रयास किया। भाजपा के दर्शन सिंह ने विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा कि राज्य के विभिन्न जिलों में पेट्रोल पंप संचालकों और तेल कंपनियों की मिली भगत से मिलावटी पेट्रोल बेचने तथा उपभोक्ता को कम पेट्रोल की आपूर्ति की जा रही है।
उन्होंने प्रदेश में मिलावटी पेट्रोल के लिए नमूनों और पंप संचालकों के खिलाफ की गई कार्रवाई और इनकी मशीनों के रखरखाव की जिम्मेदारी की जानकारी चाही। वहीं खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री बाबूलाल वर्मा ने कहा कि सरकार की ओर से टोंक, बूंदी, राजसंमद जिलों में संचालित पेट्रोल पम्पों के कुल 1023 निरीक्षण किए है, जिनमें अनियमितता पाए जाने पर दोषियों के विरुद्ध विभागीय प्रकरण दर्ज कर कारण बताओ नोटिस जारी किए गए है।
उन्होंने कहा कि इन प्रकरणों की सुनवाई के बाद दोषी पंप संचालकों की प्रतिभूति राशि जब्त की गई एवं चेतावनी पत्र जारी करने की कार्रवाई की गई। उन्होंने कहा कि टोंक, बून्दी एवं राजसमन्द जिले में संचालित पेट्रोल पम्पों की कुल संख्या 211 है जिनमें से टोंक में 94, बूंदी में 63,और राजसमंद में 54 पेट्रोल पंप हैं। उन्होंने कहा कि गत तीन वर्षों में जिला रसद विभाग, बाट एवं माप विभाग तथा तेल कम्पनियों द्वारा व्यापक तौर पर लगातार निरीक्षण किए जाते रहे है।
उन्होंने कहा कि पेट्रोल पम्प पर लगने वाली मशीनों के रख-रखाव की प्रत्यक्ष रूप से निर्माता कम्पनी की जिम्मेदारी नहीं होती है। निर्माता कम्पनी पेट्रोल पम्प पर लगी हुई मशीनों का रख-रखाव ऑयल कम्पनी के साथ की गई शर्तों एवं नियमों के आधार पर करती है, जिसके अन्तर्गत अगर निर्माता कम्पनी की सर्विस इत्यादि में कोई दोष इत्यादि पाया जाता है तो निर्माता कम्पनी पर जुर्माना किया जाता है।
उन्होंने बताया कि तेल कम्पनियों की पेट्रोल पम्प मालिकों से मिलीभगत तथा रसद विभाग के अधिकारियों की व्यस्तता के कारण पेट्रोल पम्पों पर उपभोक्ता को कम डीजल या पेट्रोल नहीं दिया जा रहा है।
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