जल के क्षेत्र में प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाएंगे : राजे

Samachar Jagat | Monday, 28 Nov 2016 10:12:22 AM
In the area of water will make the state self sufficient: Raje

जयपुर। मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने कहा कि जिस ऐतिहासिक सफलता के साथ मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान का प्रथम चरण सम्पन्न हुआ है, उससे भी दोगुने जोश और जज्बे के साथ अभियान के दूसरे चरण में जुटना होगा तभी हम राजस्थान को जल के क्षेत्र में आत्मनिर्भर और हरा-भरा बना पाएंगे। 

उन्होंने कहा कि अभियान को सफलता के उस चरम तक ले जाना है कि किसी भी परिस्थिति में हमें जल के लिए किसी के आगे हाथ नहीं फैलाना पड़े। राजे 9 दिसम्बर से प्रदेश के 4200 गांवों और 66 नगरीय क्षेत्रों में प्रारंभ हो रहे मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के दूसरे चरण को लेकर दुर्गापुरा स्थित राज्य कृषि प्रबंधन संस्थान में रविवार को आयोजित 

कार्यशाला को सम्बोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि इस अभियान से राजस्थान की
 न केवल देश बल्कि पूरी दुनिया में पहचान बनी है और दूसरे राज्य व देश भी हमारे मॉडल को अपनाने जा रहे हैं।

25 से बढक़र 50 ब्लॉक हुए सेफ:
मुख्यमंत्री ने ग्राउण्ड वाटर एसेसमेंट रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि 2013 में राजस्थान के मात्र 25 ब्लॉक ही सुरक्षित श्रेणी में थे। अभियान की सफलता के बाद यह सेफ ब्लॉक बढकर 50 हो गए हैं। उन्होंने कहा कि जन आंदोलन के रूप में चल रहे इस अभियान ने राजस्थान की तस्वीर बदल दी है। अभियान में चयनित क्षेत्रों के जलाशय आज लबालब हैं, सूखे जोहड़, कुएं और हैंडपंपों में पानी आ गया है।

41 लाख लोग, 45 लाख पशुधन लाभान्वित
पहले चरण की सफलता का श्रेय: जनभागीदारी को देते हुए राजे ने कहा कि यह जनता ही है जिसने तन-मन-धन से राजस्थान को जल स्वावलंबी बनाने में योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि पहले चरण में संग्रहित हुए करीब 11 हजार 170 मिलियन क्यूबिक फीट जल से करीब 41 लाख लोग तथा 45 लाख पशुधन सीधे लाभान्वित हुआ है। साथ ही अभियान में करीब 26.50 लाख पौधे लगाने का भी ऐतिहासिक काम हुआ है।

सब मिलकर सफल बनाएं दूसरा चरण
मुख्यमंत्री ने कहा कि दूसरे चरण में हमने गांवों के साथ-साथ शहरों को भी जोड़ा है। साथ ही नई तकनीक एवं नवाचारों का उपयोग करते हुए इसे पहले से अधिक व्यापक बनाया है। जिसके तहत ग्रामीण इलाकों के साथ-साथ इस साल 66 नगरीय निकायों में भी जल संरक्षण के काम किए जाएंगे। दूसरे चरण में एक करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। 

उन्होंने कार्यशाला में उपस्थित केन्द्रीय मंत्रियों, मंत्रिपरिषद् के सदस्यों, सांसदों, विधायकों, जिला प्रमुखों, नगरीय निकायों के प्रमुखों के साथ ही सभी जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों का आह्वान किया कि वे आमजन, भामाशाह, गैर सरकारी संगठनों, धार्मिक संस्थाओं सहित सभी के सहयोग से अभियान के दूसरे चरण को सफल बनाने में जुटें।

सर्वश्रेष्ठ कार्य के लिए इनका हुआ सम्मान:
राजे ने इस अवसर पर पहले चरण में सर्वश्रेष्ठ कार्य करने पर पाली जिले को प्रथम, झालावाड जिले को दूसरा तथा भरतपुर, सीकर एवं सिरोही जिले को तृतीय पुरस्कार से सम्मानित किया। साथ ही चित्तौडगढ़, बांसवाडा, गंगानगर, अलवर एवं टोंक जिले को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया। इन सभी जिलों के कलक्टरों ने राजे से पुरस्कार ग्रöा किया। इसी प्रकार अभियान में महत्वपूर्ण योगदान के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव वन एन.सी. गोयल, प्रमुख शासन सचिव ग्रामीण विकास सुदर्शन सेठी, सचिव पंचायती राज आनन्द कुमार, सचिव ग्रामीण विकास राजीव ठाकुर, तत्कालीन कमिश्नर नरेगा रोहित कुमार, आयुक्त जल ग्रहण एवं भू-संरक्षण अनुराग भारद्वाज, तकनीकी सहायक रिवर बेसिन ऑथोरिटी राकेश रेड्डी, वन संरक्षक अजय गुप्ता, उपनिदेशक जल ग्रहण एवं भू-संरक्षण श्रीमती सुशीला यादव एवं उपनिदेशक आईटी उमेश जोशी तथा 60 कार्मिकों को भी सम्मानित किया।

नवाचारों के लिए सराहा:
कार्यशाला के दौरान मुख्यमंत्री ने आमजन को राहत देने के लिए नवाचार करने पर नागौर जिला कलक्टर राजन विशाल तथा करौली कलक्टर मनोज शर्मा की सराहना की। उन्होंने कहा कि जनसहभागिता से कुचामन में बावड़ी को पुनर्जीवित कर तथा करौली में बहुत कम लागत से जनसहयोग के आधार पर नदी में से रास्ता बनाकर उदाहरण पेश किया गया है। अन्य जिले भी ऐसे नवाचार कर आमजन को राहत प्रदान करें। राजे ने इस अवसर पर प्रथम चरण के सफल कार्यों पर आधारित कॉफी टेबल बुक का लोकार्पण भी किया।

वेब मैपिंग से बेहतर होगी मॉनीटरिंग:
ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री सुरेन्द्र गोयल ने कहा कि दूसरे चरण के तहत एक लाख 40 हजार कामों की डीपीआर तैयार की गई है। इस बार इन कार्यों को वेब मैपिंग से जोड़ा जा रहा है। जिससे कि इन कामों की प्रभावी मॉनीटरिंग सुनिश्चित होगी। प्रमुख शासन सचिव ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज सुदर्शन सेठी ने प्रथम चरण की उपलब्धियों की जानकारी दी। प्रमुख शासन सचिव स्थानीय निकाय मंजीत सिंह ने दूसरे चरण के तहत नगरीय क्षेत्रों में होने वाले कार्यों के संबंध में अवगत कराया।

इससे पहले रिवर बेसिन अथॉरिटी के चैयरमेन श्रीराम वैदिरे तथा जलग्रहण आयुक्त अनुराग भारद्वाज ने अभियान के प्रथम एवं द्वितीय चरण पर विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया। इस अवसर पर केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल, केन्द्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्यमंत्री सीआर चौधरी भी उपस्थित थे।
 
न केवल देश बल्कि पूरी दुनिया में पहचान बनी है और दूसरे राज्य व देश भी हमारे मॉडल को अपनाने जा रहे हैं।
25 से बढक़र 50 ब्लॉक हुए सेफ : मुख्यमंत्री ने ग्राउण्ड वाटर एसेसमेंट रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि 2013 में राजस्थान के मात्र 25 ब्लॉक ही सुरक्षित श्रेणी में थे। अभियान की सफलता के बाद यह सेफ ब्लॉक बढकर 50 हो गए हैं। उन्होंने कहा कि जन आंदोलन के रूप में चल रहे इस अभियान ने राजस्थान की तस्वीर बदल दी है। अभियान में चयनित क्षेत्रों के जलाशय आज लबालब हैं, सूखे जोहड़, कुएं और हैंडपंपों में पानी आ गया है।

41 लाख लोग, 45 लाख पशुधन लाभान्वित - पहले चरण की सफलता का श्रेय : जनभागीदारी को देते हुए राजे ने कहा कि यह जनता ही है जिसने तन-मन-धन से राजस्थान को जल स्वावलंबी बनाने में योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि पहले चरण में संग्रहित हुए करीब 11 हजार 170 मिलियन क्यूबिक फीट जल से करीब 41 लाख लोग तथा 45 लाख पशुधन सीधे लाभान्वित हुआ है। साथ ही अभियान में करीब 26.50 लाख पौधे लगाने का भी ऐतिहासिक काम हुआ है।
सब मिलकर सफल बनाएं दूसरा चरण : मुख्यमंत्री ने कहा कि दूसरे चरण में हमने गांवों के साथ-साथ शहरों को भी जोड़ा है। साथ ही नई तकनीक एवं नवाचारों का उपयोग करते हुए इसे पहले से अधिक व्यापक बनाया है। जिसके तहत ग्रामीण इलाकों के साथ-साथ इस साल 66 नगरीय निकायों में भी जल संरक्षण के काम किए जाएंगे। दूसरे चरण में एक करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। 

उन्होंने कार्यशाला में उपस्थित केन्द्रीय मंत्रियों, मंत्रिपरिषद् के सदस्यों, सांसदों, विधायकों, जिला प्रमुखों, नगरीय निकायों के प्रमुखों के साथ ही सभी जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों का आह्वान किया कि वे आमजन, भामाशाह, गैर सरकारी संगठनों, धार्मिक संस्थाओं सहित सभी के सहयोग से अभियान के दूसरे चरण को सफल बनाने में जुटें।

सर्वश्रेष्ठ कार्य के लिए इनका हुआ सम्मान : राजे ने इस अवसर पर पहले चरण में सर्वश्रेष्ठ कार्य करने पर पाली जिले को प्रथम, झालावाड जिले को दूसरा तथा भरतपुर, सीकर एवं सिरोही जिले को तृतीय पुरस्कार से सम्मानित किया। साथ ही चित्तौडगढ़, बांसवाडा, गंगानगर, अलवर एवं टोंक जिले को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया। 

इन सभी जिलों के कलक्टरों ने राजे से पुरस्कार ग्रöा किया। इसी प्रकार अभियान में महत्वपूर्ण योगदान के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव वन एन.सी. गोयल, प्रमुख शासन सचिव ग्रामीण विकास सुदर्शन सेठी, सचिव पंचायती राज आनन्द कुमार, सचिव ग्रामीण विकास राजीव ठाकुर, तत्कालीन कमिश्नर नरेगा रोहित कुमार, आयुक्त जल ग्रहण एवं भू-संरक्षण अनुराग भारद्वाज, तकनीकी सहायक रिवर बेसिन ऑथोरिटी राकेश रेड्डी, वन संरक्षक अजय गुप्ता, उपनिदेशक जल ग्रहण एवं भू-संरक्षण श्रीमती सुशीला यादव एवं उपनिदेशक आईटी उमेश जोशी तथा 60 कार्मिकों को भी सम्मानित किया।

नवाचारों के लिए सराहा : कार्यशाला के दौरान मुख्यमंत्री ने आमजन को राहत देने के लिए नवाचार करने पर नागौर जिला कलक्टर राजन विशाल तथा करौली कलक्टर मनोज शर्मा की सराहना की। उन्होंने कहा कि जनसहभागिता से कुचामन में बावड़ी को पुनर्जीवित कर तथा करौली में बहुत कम लागत से जनसहयोग के आधार पर नदी में से रास्ता बनाकर उदाहरण पेश किया गया है। अन्य जिले भी ऐसे नवाचार कर आमजन को राहत प्रदान करें। राजे ने इस अवसर पर प्रथम चरण के सफल कार्यों पर आधारित कॉफी टेबल बुक का लोकार्पण भी किया।

वेब मैपिंग से बेहतर होगी मॉनीटरिंग : ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री सुरेन्द्र गोयल ने कहा कि दूसरे चरण के तहत एक लाख 40 हजार कामों की डीपीआर तैयार की गई है। इस बार इन कार्यों को वेब मैपिंग से जोड़ा जा रहा है। जिससे कि इन कामों की प्रभावी मॉनीटरिंग सुनिश्चित होगी। 

प्रमुख शासन सचिव ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज सुदर्शन सेठी ने प्रथम चरण की उपलब्धियों की जानकारी दी। प्रमुख शासन सचिव स्थानीय निकाय मंजीत सिंह ने दूसरे चरण के तहत नगरीय क्षेत्रों में होने वाले कार्यों के संबंध में अवगत कराया। इससे पहले रिवर बेसिन अथॉरिटी के चैयरमेन श्रीराम वैदिरे तथा जलग्रहण आयुक्त अनुराग भारद्वाज ने अभियान के प्रथम एवं द्वितीय चरण पर विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया।

 इस अवसर पर केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल, केन्द्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्यमंत्री सीआर चौधरी भी उपस्थित थे।



 
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